देहरादून : गर्मियां आते ही उत्तराखंड के जंगल एक बार फिर से धधक उठे हैं. जंगल में लगी आग इतनी तेजी से आबादी की तरफ बढ़ रही है कि जंगल के आसपास रहने वाले लोग दहशत में हैं. उत्तराखंड में पांच अप्रैल तक 1300 हेक्टेयर से अधिक जंगल इस सीजन में आग की भेंट चढ़ चुके हैं.
उत्तराखंड सरकार के अनुरोध पर अब एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर आग बुझाने में जुट गए हैं. भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने टिहरी गढ़वाल के मठियानी और अडियानी के धधकते जंगलों में आग बुझाने का प्रयास किया. एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर बांबी बकेट के जरिए टिहरी झील से पानी उठाकर आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि इससे पहले वर्ष 2016 में जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए सेना के हेलीकाप्टरों की मदद ली गई थी.
उत्तराखंड में एक हजार जगहों पर लगी है आग
राज्य में एक हजार से अधिक जगहों पर आग लगी हुई है. मौसम ने हालात को और ज्यादा चुनौतीपूर्ण बना दिया है. 12 हजार से अधिक वनकर्मी जंगलों की आग बुझाने में जुटे हुए हैं. जंगलों में आग लगने की वजह से गर्मी हो रही है, उसकी वजह से जीव जंतुओं के निवास स्थान बर्बाद हो जाते हैं. मिट्टी की गुणवत्ता खत्म हो जाती है या उनके जैविक मिश्रण में बदलाव आ जाता है.
वहीं, सीएम तीरथ सिंह रावत ने ट्वीट कर कहा, 'राज्य सरकार वनाग्नि को बुझाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, परंतु जनता का भी यह कर्तव्य है कि वे वनाग्नि की रोकथाम में सहयोग करें. मेरा अनुरोध है कि वनों में जलती बीड़ी, सिगरेट या माचिस की तीली न फेंकें. साथ ही खेत-खलिहानों में अपशिष्ट जलाते समय भी विशेष सावधानी बरतें. जंगल में आग से वन्य जीव ही नहीं, जनजीवन भी प्रभावित होता है.
सीएन ने कहा कि यदि आपको वनाग्नि दिखाई देती है तो तुरंत निकटतम वन चौकी या क्रू स्टेशन पर सूचित करें. टोल फ्री नं. 1800-180-4141 पर भी इसकी सूचना दे सकते हैं.
24 घंटे में 85 जगहों पर लगी आग
उत्तराखंड के जंगल बड़ी तेजी के साथ जल रहे हैं. 24 घंटे में ही 85 जगहों पर जंगली आग की खबर आई है. राज्य सरकार के मुताबिक, बीते 24 घंटे में गढ़वाल मंडल में 74, कुमाऊं मंडल में 9 घटनाएं और वन्य जीव संगठन क्षेत्र में दो आग की घटनाएं सामने आई हैं. गढ़वाल मंडल में 151 हेक्टेयर और कुमाऊं मंडल में आग से 12.6 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गए हैं.
वहीं, आग से 1.5 हेक्टेयर वन्य जीव संगठन क्षेत्र भी जलकर खाक हो गया है. 24 घंटे में आग से 2 लाख 98 हजार 913 रुपये का नुकसान उत्तराखंड को हुआ है.
बांबी बकेट क्या होता है?
हेलीकॉप्टर से नीच लटकते विशेष प्रकार के बाल्टी को 'बांबी बकेट' कहते हैं, जो एक विशेष प्रकार से निर्मित की गई बड़े आकार की बाल्टी होती है. इस बाल्टी की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि हेलीकॉप्टर इस बाल्टी में उड़ते हुए भी पानी भर सकता है. हेलीकॉप्टर इस बकेट को आग लगने वाले क्षेत्र में लटकाकर उड़ता है और आग पर पानी गिराकर काबू पाता है.
बांबी बकेट का डिजाइन इस तरह का होता है कि इसमें पानी किसी नदी, तालाब या झरने से पानी इसमें भरा जा सकता है. इस बकेट में एक बार में 300 लीटर से 10 हजार लीटर पानी तक भरा जा सकता है.