नई दिल्ली : राष्ट्रमंडल की महासचिव पेट्रीसिया स्कॉटलैंड ने कहा है कि भारत को जी-20 के एजेंडा को मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लैंगिक समानता और लैंगिक समावेशन का दृष्टिकोण हर चीज में समाहित हों.
स्कॉटलैंड ने एक साक्षात्कार के दौरान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में चिंताजनक लैंगिक असमानताओं पर प्रकाश डाला और इसमें इस महत्वपूर्ण समस्या के समाधान के लिए भारत के प्रयासों पर विशेष जोर दिया.
स्कॉटलैंड ने महिलाओं और लड़कियों पर पड़ने वाले असंगत बोझ पर भी प्रकाश डाला तथा भारत की स्थिति का विशेष उल्लेख किया. उन्होंने इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
उन्होंने दुनिया भर में जलवायु से संबंधित आपदाओं में तेजी से बढ़ोतरी को स्वीकार किया. पिछले दो दशकों से भी कम समय में ऐसी 7,000 से अधिक घटनाएं घटी हैं.
स्कॉटलैंड ने कहा, 'इस गंभीर वास्तविकता को और भी चिंताजनक बनाने वाली बात यह है कि महिलाएं और लड़कियां अक्सर इन आपदाओं की सबसे ज्यादा शिकार होती हैं.'
उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल भारत को जी-20 एजेंडा को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि लैंगिक समानता और लैंगिक समावेशन के दृष्टिकोण हर चीज में समाहित हों.
प्राकृतिक आपदाओं का भी किया जिक्र :स्कॉटलैंड ने भारत में प्राकृतिक आपदाओं की हालिया शृंखला को इस असमानता का एक ज्वलंत उदाहरण बताया. उन्होंने कहा, 'भूस्खलन की घटनाओं और सूखे की स्थिति बहुत ही खौफनाक है तथा यह सब बहुत तेजी से घटित हो रहा है.'
स्कॉटलैंड ने कहा कि भूस्खलन, सूखा और चरम मौसम की घटनाओं सहित जलवायु-प्रेरित आपदाओं की एक शृंखला से जूझ रहा देश भारत इस मुद्दे का जीता-जागता उदाहरण है.
उन्होंने कहा, 'भारत वास्तव में इन सभी को प्रतिबिंबित करता है, क्योंकि भारत में द्वीपीय राज्य और बड़े राज्य भी हैं. भारत में ऐसे भी राज्य हैं, जिनमें से एक का क्षेत्रफल नाइजीरिया के आकार के बराबर है और यहां आपको तटीय राज्य भी मिलेंगे.'