नई दिल्ली :विपक्षी गठबंधन इंडिया ने सोमवार को अपना ट्रंप कार्ड खेला. बिहार सरकार ने डेटा जारी किया जिसमें दिखाया गया कि राज्य में 63 प्रतिशत पिछड़े लोग हैं. अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दिनों से ही राहुल गांधी नए सिरे से जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं और हाल ही में वादा किया था कि अगर 2024 में इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है, तो वह यह अभ्यास करेगा.
ताजा जाति जनगणना 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए राहुल गांधी की भाजपा की धर्म-आधारित राजनीति का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय राजनीति का ध्यान सामाजिक कल्याण एजेंडे पर केंद्रित करने की रणनीति है.
बिहार सरकार की 13 करोड़ आबादी की जाति जनगणना के अनुसार, पिछड़े 27 प्रतिशत और अति पिछड़े 36 प्रतिशत हैं, कुल मिलाकर 63 प्रतिशत हैं. एससी 19 प्रतिशत, एसटी 1 प्रतिशत जबकि सामान्य वर्ग 15 प्रतिशत है.
कांग्रेस के रणनीतिकारों ने इस कदम के लिए पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल, और 'इंडिया' सहयोगी जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बधाई दी. उन्होंने कहा कि नए सिरे से जाति जनगणना की मांग अब और अधिक राज्यों में उठाई जाएगी.
एआईसीसी ओबीसी विभाग के अध्यक्ष अजय यादव ने ईटीवी भारत को बताया कि 'पिछले साल भारत जोड़ो यात्रा के बाद से राहुलजी नए सिरे से जाति जनगणना के लिए दबाव डाल रहे हैं. हमने फरवरी में रायपुर में अपने पूर्ण सत्र में इसके लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया था. यदि 2024 में इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो हम देशव्यापी जाति जनगणना कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस विचार को अधिकांश गठबंधन पार्टियों जैसे एसपी, डीएमके और जेएमएम का समर्थन प्राप्त है. हम अपनी ओर से इसे जनता के बीच उठाना जारी रखेंगे.'