नई दिल्ली : भारत ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को उम्मीद जतायी कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा जिससे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग सुगम होगा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इस बारे में भारत और चीन के बीच शीर्ष कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता 10 अक्टूबर को हुई थी और वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने शेष क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं था और वह आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव भी नहीं दे सका.
बागची ने कहा, दोनों पक्षों ने संवाद जारी रखने और जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाये रखने पर सहमति व्यक्त की. यह सकारात्मक बात है.
उन्होंने कहा कि यह हाल ही में दुशांबे में एक बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर की अपने चीनी समकक्ष से चर्चा के आधार पर बने मार्गदर्शन के अनुरूप होगा जहां वे इस बात पर सहमत हुए थे कि दोनों पक्षों को शेष मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने चाहिए.
बागची ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा.
उन्होंने कहा कि इससे सीमा पर अमन एवं शांति बहाली और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग सुगम होगा.
आगामी मास्को फॉर्मेट बैठक में भाग लेगा भारत
इसके अलवा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जानकारी दी कि भारत अफगानिस्तान पर आगामी मास्को फॉर्मेट के तहत हो रही बैठक में भाग लेगा. यह बैठक 20 अक्टूबर को रूस में होगी. हालांकि बैठक में कौन जाएगा इसके बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी गई है.
बता दें कि रूस द्वारा शुरू किया गया मास्को फॉर्मेट अफगान मुद्दों को संबोधित करने के लिए 2017 में स्थापित एक वार्ता तंत्र है. इसमें वर्तमान में भारत, अमेरिका, अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशियाई राज्य शामिल हैं. भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अफगानिस्तान की स्थिति पर अपना रुख दोहराता रहा है.