नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 'वोकल फॉर लोकल' यानी स्थानीय उत्पादों पर जोर देने की जोरदार वकालत करते हुए रविवार को सम्मेलन आधारित पर्यटन (कांफ्रेंस टूरिज्म) के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि 'भारत मंडपम' और 'यशोभूमि' भारत के आतिथ्य, श्रेष्ठता और उसकी भव्यता के प्रतीक बनेंगे, क्योंकि दोनों में ही भारतीय संस्कृति और अत्याधुनिक सुविधाओं का संगम है. प्रधानमंत्री ने इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर के पहले चरण को राष्ट्र को समर्पित करने और 'पीएम विश्वकर्मा' योजना की शुरुआत करने के बाद यह बात कही.
एक्सपो केंद्र का नाम 'यशोभूमि' रखा गया है. 'भारत मंडपम' में हाल ही में जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था. मोदी ने कहा, 'बदलते हुए समय के साथ विकास और रोजगार के नये-नये क्षेत्र भी बनते हैं. आज से 50-60 साल पहले इतनी बड़ी प्रौद्योगिकी उद्योग के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. आज से 30-35 साल पहले सोशल मीडिया भी कल्पना मात्र ही था. आज दुनिया में एक और बड़ा क्षेत्र विकसित हो रहा है, जिसमें भारत के लिए असीम संभावनाएं हैं. यह सेक्टर है कांफ्रेंस टूरिज्म का.'
उन्होंने कहा कि आज का नया भारत खुद को 'कांफ्रेंस टूरिज्म' के लिए भी तैयार कर रहा है. उन्होंने कहा, 'भारत मंडपम हो या यशोभूमि... ये भारत के आतिथ्य, भारत की श्रेष्ठता और भारत की भव्यता के प्रतीक बनेंगे. भारत मंडपम और यशोभूमि दोनों में ही भारतीय संस्कृति और अत्याधुनिक सुविधाओं का संगम है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि 'कांफ्रेंस टूरिज्म' पूरी दुनिया में 25 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का उद्योग है और हर साल दुनिया में हजारों की संख्या में प्रदर्शनियां लगती हैं.
उन्होंने कहा, 'बहुत बड़ा बाजार है कांफ्रेंस टूरिज्म. इसके लिए आने वाले लोग एक सामान्य पर्यटक की अपेक्षा कई गुना ज्यादा पैसा खर्च करते हैं. इतनी बड़ी इंडस्ट्री में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ एक प्रतिशत है. भारत की अन्य बड़ी कंपनियां हर साल अपने बड़े कार्यक्रम करने के लिए विदेश जाने के लिए मजबूर हो जाती हैं.' उन्होंने कहा, 'देश और दुनिया का इतना बड़ा बाजार हमारे सामने है. अब आज का नया भारत खुद को कांफ्रेंस टूरिज्म के लिए भी तैयार कर रहा है.'
प्रधानमंत्री ने देश को 2047 में दुनिया के सामने विकसित भारत के रूप में खड़ा करने का अपना संकल्प दोहराया. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 'पीएम विश्वकर्मा' योजना की शुरुआत करते हुए कारीगरों और शिल्पकारों को 'मेक इन इंडिया' की शान बताया. उन्होंने कहा कि अब देश को 'लोकल के लिए वोकल' होने के प्रण फिर दोहराना है. उन्होंने कहा, 'अब गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली सहित अनेक त्योहार आने वाले हैं. मैं सभी देशवासियों से लोकल (स्वदेशी) उत्पाद खरीदने का आग्रह करूंगा.'
'यशोभूमि' पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने इस केंद्र का मुआयना भी किया. इसे लगभग 5,400 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है. 'यशोभूमि' में विश्व-स्तरीय बैठक, सम्मेलन और प्रदर्शनियों की मेजबानी की जा सकेगी. यह दुनिया के सबसे बड़े सम्मेलन और प्रदर्शनी सुविधा स्थलों में से एक है. करीब 73,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में बने कन्वेंशन सेंटर में 15 कन्वेंशन रूम हैं. इनमें मुख्य सभागार, भव्य बॉलरूम और 11,000 प्रतिनिधियों के बैठने की कुल क्षमता वाले 13 बैठक कक्ष शामिल हैं. कन्वेंशन सेंटर में देश का सबसे बड़ा एलईडी मीडिया स्क्रीन है. इसके मुख्य सभागार में करीब छह हजार लोगों के बैठने की क्षमता है.