रूपा (अरुणाचल प्रदेश) : पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के क्रम में भारत लगभग 1,350 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अरुणाचल प्रदेश में कनेक्टिविटी को मजबूत करने और उच्च प्रौद्योगिकी युक्त निगरानी प्रणाली के इस्तेमाल के लिए बड़े स्तर पर अवसंरचना विकास कर रहा है.
अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि बड़ी योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगभग 20 पुलों, कई सुरंगों, एयरबेस और कई प्रमुख सड़कों का विकास किया जा रहा है ताकि समग्र सैन्य तैयारियों को मजबूत किया जा सके. इस संबंध में 5-माउंटेन डिवीजन के जनरल-ऑफिसर-कमांडिंग मेजर जनरल जुबिन ए मिनवाला ने कहा कि युद्ध के मैदान में अधिक पारदर्शिता उत्पन्न करने के लिए सड़कों के बुनियादी ढांचे के साथ-साथ उच्च तकनीक वाले निगरानी उपकरणों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
बुम ला से लेकर भूटान के पश्चिम तक के क्षेत्रों पर निगरानी रखने का दायित्व 5-माउंटेन डिवीजन के पास है और इसे भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण संरचनाओं में से एक माना जाता है. मेजर जनरल मिनवाला ने सैन्य तैयारियों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए पत्रकारों के एक समूह से कहा, 'शत्रु अब हमें आश्चर्यचकित नहीं कर सकता. हमें विश्वास है कि हमारा लक्ष्य क्या है और हम उनसे आश्चर्यचकित नहीं होंगे.'
उन्होंने कहा, 'हम किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए विश्वास का दृष्टिकोण रखते हैं. भारतीय सेना का ध्यान भूमि की संप्रभुता बनाए रखने पर रहा है.' अधिकारी ने कहा कि सीमा सड़क संगठन (BRO) और सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास पर 'अत्यधिक जोर' दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, '(सैनिकों की) तैनाती में ऐसी कोई वृद्धि नहीं हुई है. हम प्रौद्योगिकी के माध्यम से (युद्धक्षेत्र में) अधिक पारदर्शिता उत्पन्न कर रहे हैं. हम पूरी स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.'