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भारत की कूटनीति के चलते चीन को झटका, पीछे हटाना पड़ा कदम

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में भारत की चतुर कूटनीति ने चीन को AUKUS के खिलाफ अपना प्रस्ताव वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया. सूत्रों के अनुसार कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) का सामान्य सम्मेलन 26-30 सितंबर, 2022 तक वियना में आयोजित हुआ.

AUKUS के खिलाफ IAEA में चाल चल रहा था चीन, भारत की वैश्विक घेराबंदी के बाद पीछे हटा
AUKUS के खिलाफ IAEA में चाल चल रहा था चीन, भारत की वैश्विक घेराबंदी के बाद पीछे हटा

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Published : Oct 1, 2022, 7:24 AM IST

वियना (ऑस्ट्रिया): अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में भारत की चतुर कूटनीति ने चीन को AUKUS के खिलाफ अपना प्रस्ताव वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया. सूत्रों के अनुसार कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) का सामान्य सम्मेलन 26-30 सितंबर, 2022 तक वियना में आयोजित हुआ. ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका इन तीनों देशों ने मिलकर हाल ही में AUKUS नाम का एक ग्रुप भी बनाया है. अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने चीन का सामना करने के उद्देश्य से 2021 में एक सुरक्षा साझेदारी की स्थापना की.

इस परियोजना के तहत तीनों देश मिलकर ऑस्ट्रेलिया में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का निर्माण करेंगे. इस पार्टनरशिप के बाद चीन काफी भड़का था. चीन ने इसे परमाणु अप्रसार संधि का उल्लंघन बताया था और इस मसले पर AUKUS के खिलाफ IAEA में प्रस्ताव पारित करने की कोशिश में लगा हुआ था. चीन ने तर्क दिया कि यह पहल परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के तहत अपनी जिम्मेदारियों का उल्लंघन है. इसने इस संबंध में IAEA की भूमिका की भी आलोचना की.

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भारत ने आईएईए द्वारा तकनीकी मूल्यांकन की सुदृढ़ता को पहचानते हुए पहल का एक उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण लिया. वियना में आईएईए में भारतीय मिशन ने इस संबंध में कई आईएईए सदस्य देशों के साथ मिलकर काम किया. भारत की सुविचारित भूमिका ने कई छोटे देशों को चीनी प्रस्ताव पर स्पष्ट रुख अपनाने में मदद की. जब चीन को यह महसूस हुआ कि उसके प्रस्ताव को बहुमत का समर्थन नहीं मिलेगा चो चीन ने 30 सितंबर को अपना प्रस्ताव वापस ले लिया.

दिलचस्प बात यह है कि ग्लोबल टाइम्स ने इस विषय पर एक लेख जारी करते हुए चीनी अधिकारियों ने प्रस्ताव के सफल होने का भरोसा जताया था. भारत की चतुर और प्रभावशाली कूटनीति की IAEA के सदस्य देशों, विशेष रूप से AUKUS भागीदारों ने सराहना की.

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