नई दिल्ली : पूर्व की एक या दो घटनाओं को छोड़ दें तो भारत-ईयू के रिश्ते हमेशा से ही काफी महत्वपूर्ण रहे हैं. हालांकि जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने पर ब्रिटेन सहित यूरोपीय संघ के कुछ देशों ने भारत की आलोचना की थी अन्यथा, रिश्ते हमेशा बेहतर रहे हैं. भारत-यूरोपीय संघ के राष्ट्राध्यक्षों एवं शासनाध्यक्षों के साथ शिखर बैठक से व्यापार, निवेश, कनेक्टिविटी संबंधों को बढ़ावा मिलेगा. यह बातें पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहीं.
शनिवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी 27 यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के नेताओं के साथ-साथ यूरोपीय परिषद और यूरोपीय आयोग के अध्यक्षों के साथ बहुप्रतीक्षित भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक में भाग लिया. यह पहली बार है कि यूरोपीय संघ ने भारत के साथ यूरोपीय संघ + 27 के प्रारूप में एक बैठक की मेजबानी की.
पढ़ें -भारतीय और इंडोनेशियाई नौसेना ने अरब सागर में किया युद्धाभ्यास
इस बारे में पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं ने दोनों के बीच अच्छे संबंधों को दर्शाया. ईयू ने संकट की इस घड़ी में भारत को चिकित्सा आपूर्ति और सहायता पहुंचाने के लिए आगे आया है. बैठक से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश को मजबूत करने को बल मिला. भारत-ईयू नेताओं की बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि यह यूरोपीय संघ और इंडो-पैसिफिक के बीच संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए महत्वपूर्ण है.