नई दिल्ली : पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल नहीं कर भारत अपने प्रदूषण को 40 फीसदी से ज्यादा कम कर सकता है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को यह बात कही. गौरतलब है कि भारत हर साल 16 लाख करोड़ रुपये का कच्चा तेल आयात करता है. गडकरी ने यहां ग्रीन ऊर्जा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हम पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन का उपयोग न करके 40 प्रतिशत प्रदूषण को कम कर सकते हैं." इस सम्मेलन का आयोजन आईआईटी-दिल्ली, आईआईटी-रोपड़ और दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से नवीकरणीय ऊर्जा सेवा पेशेवर एवं उद्योग परिसंघ (CRESPAI) ने किया था. उन्होंने कहा, "हम हर साल 16 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन का आयात करते हैं. यह हमारे लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती है. इससे प्रदूषण भी होता है. इसके अलावा, हम 12 लाख करोड़ रुपये के कोयले का भी आयात करते हैं."
गडकरी ने स्वच्छ और ग्रीन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीक लाने के लिए आईआईटी जैसे संस्थानों के महत्व पर जोर दिया.उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकी जरूरत पर आधारित होनी चाहिए, आर्थिक रूप से व्यवहार्य होनी चाहिए और इसके लिए कच्चा माल उपलब्ध होना चाहिए. उन्होंने कहा, "भारत में अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता 172 GW है और स्वच्छ ऊर्जा क्षमता के मामले में हमारा देश दुनिया में चौथे स्थान पर है. जबकि भारत ने अब 2030 तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 500GW तक वृद्धि करने का लक्ष्य रखा है. हमारे पास कुल विद्युत संचय में सौर ऊर्जा का 38 प्रतिशत उपलब्ध है." उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा की लागत घटकर 2.60 रुपये प्रति यूनिट रह गई है, जबकि अन्य ग्रीन ऊर्जा की लागत 6.5 रुपये प्रति यूनिट हो गई है.
उन्होंने कहा, "राज्य सरकार की डिस्कॉम (जिससे बिजली का वितरण और उत्पादन होता है) अच्छी नीति का पालन कर रहे हैं. उनकी नीति- 'अधिक उत्पादन अधिक नुकसान, कोई उत्पादन नहीं, कोई नुकसान नहीं' है." उन्होंने कहा कि यह सही दृष्टिकोण है कि वे (राज्य उपयोगिताएं) अपनी आपूर्ति में सौर ऊर्जा का अधिक अनुपात होने से अपनी लागत कम करना चाहते हैं. लेकिन हमें देश में बायोमास आधारित ऊर्जा को बढ़ावा देने की जरूरत है.