नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में गैर स्थायी सदस्य के रूप में (India as non permanent unsc member)जनवरी 2021 में भारत के दो साल के कार्यकाल की शुरुआत के साथ विश्व निकाय में दिल्ली की मौजूदगी से 'महत्वपूर्ण संतुलन' बना. इस दौरान, संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली इकाई को अफगानिस्तान समेत अन्य भू राजनीतिक संकट के मुद्दों का भी सामना करना पड़ा.
दुनिया में कोविड-19 के जारी प्रकोप के बीच भारत ने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में अपने कार्यकाल की शुरुआत की. इस दौरान दुनिया के अलग-अलग देशों की अर्थव्यवस्थाएं जैसे-जैसे पटरी पर आने लगीं और सीमाएं खोलने की शुरुआत हुई, कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप ने दस्तक दे दी.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने हाल में वर्ष के अपने आखिरी संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'मैं काफी चिंतित हूं. अगर चीजें ठीक नहीं हुईं और तेजी से बेहतर नहीं हुईं तो आगे हमें कठिन समय का सामना करना होगा. कोविड-19 जाने वाला नहीं है. यह स्पष्ट हो गया है कि केवल टीके से महामारी नहीं खत्म होने वाली.'
यूएनएससी में अस्थायी सदस्य के तौर पर दो साल के कार्यकाल के पहले वर्ष में भारत ने पांच स्थायी सदस्यों वाले इस वैश्विक निकाय में जरूरी संतुलन प्रदान किया. भारत ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसी मुद्दे पर परिषद का ध्रुवीकरण सुविचारित दृष्टिकोण अपनाने की क्षमता को प्रभावित नहीं करे. सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा था कि आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक औजार के तौर पर करने वाले प्रतिगामी सोच के देशों को यह समझ लेना चाहिए कि यह उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है.
प्रधानमंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि कोई भी देश अफगानिस्तान की बदहाल स्थिति का फायदा नहीं उठाए और उसका इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए नहीं करे. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'अगर संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है, तो उसे अपनी प्रभावशीलता में सुधार करना होगा, अपनी विश्वसनीयता बढ़ानी होगी.' उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में कई सवाल उठाए जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमने इसे जलवायु और कोविड-19 संकट के दौरान देखा है. दुनिया के कई हिस्सों में जारी छद्म युद्ध-आतंकवाद और अफगानिस्तान के संकट ने इन सवालों को गहरा कर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक व्यवस्था, वैश्विक कानूनों और वैश्विक मूल्यों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र को लगातार मजबूत करने का आह्वान किया.