न्यूयॉर्क (यूएस) : संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है. उन्होंने अस बात पर जोर दिया कि मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है. रुचिरा भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ आये प्रस्ताव में वोट नहीं करने के बाद प्रेस को संबोधित कर रहीं थी. प्रस्ताव में रूस के 'अवैध जनमत संग्रह' और यूक्रेनी क्षेत्रों के कब्जे की निंदा की गई थी और आह्वान किया गया था कि हिंसा तत्काल समाप्त हो.
15 देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के मसौदे पर मतदान किया. यह प्रस्ताव रूस के यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों में अवैध तथाकथित जनमत संग्रह की निंदा के संबंध में था. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को यूएनएससी में यूक्रेन में जनमत संग्रह की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर मतदान किया. हालांकि इसे पास नहीं किया जा सका क्योंकि रूस ने इसे वीटो कर दिया. जबकि भारत, चीन, गैबॉन और ब्राजील ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
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काम्बोज ने प्रस्ताव पर भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि हिंसा को तत्काल समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों द्वारा सभी प्रयास किए जाएं. उन्होंने कहा कि मतभेदों और विवादों को निपटाने का एकमात्र जवाब बातचीत है. उन्होंने यूएनएससी में अपने संबोधन के दौरान कहा कि मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए संवाद ही एकमात्र जवाब है, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो. शांति के मार्ग के लिए हमें कूटनीति के सभी चैनलों को खुला रखना होगा.
उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर उच्च स्तरीय सप्ताह के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने हालिया कार्यक्रमों में विदेश मंत्री द्वारा दिए गए बयानों पर भी प्रकाश डाला. समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह का उल्लेख करते हुए कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता. काम्बोज ने कहा कि भारत संघर्ष के समाधान और शांति वार्ता की जल्द बहाली के लिए आशान्वित है.
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संयुक्त राष्ट्र के दूत ने कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत से ही भारत की स्थिति स्पष्ट और सुसंगत रही है. वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों, अंतर्राष्ट्रीय कानून और सभी राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है. कम्बोज ने कहा कि बयानबाजी या तनाव का बढ़ना किसी के हित में नहीं है. यह महत्वपूर्ण है कि वार्ता की मेज पर वापसी के लिए रास्ते खोजे जाएं. उभरती स्थिति की समग्रता को ध्यान में रखते हुए, भारत ने इस प्रस्ताव से दूर रहने का फैसला किया है.
पुतिन ने शुक्रवार को दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए और औपचारिक रूप से चार क्षेत्रों - डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया के विलय की घोषणा की. रूस के इस कदम की दुनिया भर में व्यापक आलोचना हुई. संयुक्त राज्य अमेरिका ने घोषणा की कि वह रूस पर 'तेज और गंभीर प्रतिबंध लगाएगा. इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं को बदलने के रूस के कपटपूर्ण प्रयास को स्पष्ट रूप से खारिज करता है.
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उन्होंने कहा कि हम रूस को जवाबदेह ठहराने, रूस की सेना को वैश्विक वाणिज्य से दूर करने और अपनी आक्रामकता और परियोजना शक्ति को बनाए रखने की क्षमता को गंभीर रूप से सीमित करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के शक्तिशाली, समन्वित प्रयासों को जारी रखेंगे. इससे पहले मंगलवार को प्रेस से बात करते हुए काम्बोज ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप अनगिनत लोगों की जान चली गई है.
उन्होंने कहा कि लोगों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों लाखों की संख्या में बेघर हो गए हैं और पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं.रुचिरा कंबोज ने कहा कि नई दिल्ली यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न आर्थिक कठिनाइयों को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करना जारी रखेगी. यूएनएससी ब्रीफिंग के दौरान, संयुक्त राष्ट्र के दूत ने यह भी दोहराया कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए भारत का दृष्टिकोण मानव-केंद्रित होगा क्योंकि भारत का दृढ़ विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर में अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर वैश्विक व्यवस्था को चलना चाहिए.
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