हैदराबाद: कोरोना ने दुनिया को सबसे ज्यादा नुकसान स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर पहुंचाया है. दुनिया के हर देश में कोरोना की मार आर्थिक गतिविधियों पर पड़ी है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानि आईएमएफ ने एक वैश्विक टीकाकरण अभियान का प्रस्ताव तैयार किया है जिसपर 50 बिलियन डॉलर के खर्च का अनुमान है. आईएमएफ के मुताबिक महामारी एक ऐसी समस्या है जिसका अंत हो सकता है लेकिन इसके लिए पूरी दुनिया को एक साथ आना होगा.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चेतावनी दी है कि आर्थिक सुधारों पर कोरोना का खतरनाक असर पड़ेगा. अमीर और गरीब देशों के बीच असमानताएं और बढ़ जाएंगी. अब ये अंतर टीकाकरण करने वाले और टीकाकरण के लिए जूझते देशों के बीच होगा. कुछ देश कोरोना के टीके, निदान और चिकित्सा विज्ञान तक व्यापक पहुंच हैं और कई देशों के सामने अभी भी अपने फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाने की चुनौती है.
अप्रैल 2021 के अंत तक, अफ्रीका की दो फीसदी से भी कम आबादी को टीका लग पाया था. इसके उलट अमेरिका में 40 फीसदी से अधिक और यूरोप में 20 फीसदी से अधिक लोगों को टीके की कम से कम एक डोज मिल चुकी थी.
आईएमएफ स्टाफ द्वारा नवीनतम शोध महामारी के खिलाफ लड़ाई के कई आयामों का विश्लेषण करता है और हर जगह महामारी को काफी हद तक नियंत्रण में लाने के लिए यथार्थवादी लक्ष्यों का प्रस्ताव करता है.
IMF का प्रस्ताव
-2021 के अंत तक सभी देशों की 40 फीसदी आबादी का टीकाकरण और 2022 के मध्य तक 60 फीसदी का टीकाकरण.
-व्यापक कोरोना टेस्ट और ट्रेसिंग सुनिश्चित करें, महामारी से जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाएं, दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखें. जिन क्षेत्रों में टीकाकरण कम हो रहा है वहां सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करें.
-रणनीति के लिए सिर्फ प्रतिबद्धताओं की आवश्यता नहीं वित्तीय संसाधन जुटाने, टीका दान और जोखिम के दौर में निवेश को नकारात्मक परिस्थितियों के खिलाफ सुरक्षित करने की आवश्यकता होती है.
50 बिलियन डॉलर का प्रस्ताव
आईएमएफ के प्रस्ताव की कुल लागत करीब 50 बिलियन डॉलर है. जिसमें अनुदान, सरकार के संसाधन और रियायतें शामिल हैं. कम से कम 35 बिलियन डॉलर के अनुदान वित्तपोषण के लिए एक मजबूत बेस है. अच्छी खबर यह है कि G20 सरकारों ने पहले से ही करीब 22 बिलियन डॉलर के ग्रांट फंडिंग गैप को दूर करने के लिए योजना तैयार की है. इसमें एडिशनल 13 बिलियन डॉलर ग्रांट की आवश्यकता है. बाकी लगभग 15 बिलियन डॉलर राष्ट्रीय सरकारों से आ सकता है, जो संभावित रूप से बहुपक्षीय विकास बैंकों द्वारा बनाई गई कोविड -19 फाइनेंसिंग फैसिलिटी द्वारा समर्थित है
जीवन और आजीविका को बचाने के लिए महामारी का तेजी से अंत होना जरूरी है. अगर ऐसा हुआ तो आर्थिक गतिविधियां फिर से पटरी पर आ जाएंगी और 2025 तक वैश्विक अर्थव्यस्था में 9 ट्रिलियन डॉलर का लाभ हो सकता है.
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