नई दिल्ली :कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी के सीएम को लिखे पत्र में यह आग्रह किया कि राज्य सरकार को स्वास्थ्य संबंधी आपातकाल की स्थिति को स्वीकार करना चाहिए. प्रियंका ने सुझाव दिया कि स्वास्थ्यकर्मियों एवं फ्रंटलाइन कर्मियों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए.
साथ ही आरटीपीसीआर जांच बढ़ाने, ऑक्सीजन भंडारण की नीति तय करने और मौत के आंकड़ों को लेकर पारदर्शिता बरतने समेत कई कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में शहरों की सीमाओं को लांघकर अब यह महामारी गांवों में अपना पैर पसार रही है. पिछले 20 दिनों में कोरोना के 10 गुना मरीज बढ़े हैं.
सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि जिस रफ्तार से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उसके मुकाबले प्रदेश में कोरोना जांच की दर न के बराबर है. बड़ी संख्या ऐसे मामलों की भी है जो रिपोर्ट ही नहीं हो पा रहे. उन्होंने दावा किया कि ग्रामीण इलाकों में तो जांच तक नहीं हो रही है. शहरी इलाकों के लोगों को जांच कराने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
23 करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य में प्रदेश सरकार के पास केवल 126 परीक्षण केंद्र और 115 निजी जांच केंद्र हैं. प्रियंका ने ऑक्सीजन और रेडेमिसिवर इंजेक्शन की कमी, टीकाकरण की कथित धीमी गति होने तथा श्मशान घाटों पर लूट-खसोट पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि मानवता की लड़ाई में लोगों को कोरोना से लड़ने के लिए अकेला मत छोड़िए, आप उनके प्रति जवाबदेह हैं.
प्रियंका ने इस बात पर जोर दिया कि इस संकट के समय यदि आप (योगी) दृढ़निश्चय लेकर सरकार के पूरे संसाधन नहीं डालेंगे तो भावी पीढ़ियां आपको कभी माफ नहीं करेगी. उन्होंने आग्रह किया कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन कर्मियों के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए.
सभी बंद किए जा चुके कोविड अस्पतालों और देखभाल केंद्रों को फिर से खोला जाए. कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने सुझाव दिया कि कोरोना संक्रमण एवं मौत के आंकड़ों को ढंकने, छुपाने की बजाय श्मशान, कब्रिस्तान और नगरपालिका निकायों से परामर्श कर पारदर्शिता से लोगों को बताया जाए.