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इजरायली हेरॉन ड्रोंस बनेंगे और खतरनाक, भारतीय रक्षा निर्माता करेंगे स्ट्राइक क्षमताओं से लैस

भारतीय वायुसेना का उस परियोजना में मुख्य नेतृत्व है, जिसके तहत नौसेना और सेना में इजरायली ड्रोन को भी स्ट्राइक क्षमताओं और बेहतर निगरानी सहित टोही पॉड्स के साथ अपग्रेड करने की योजना है. लंबे समय से तीनों सेवाएं टोही और जासूसी उद्देश्यों के लिए वायुसेना इजरायली निर्मित खोजकर्ता II और हेरॉन यूएवी पर निर्भर हैं.

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Published : Sep 18, 2022, 10:04 PM IST

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से सभी प्रमुख आयात सौदों को या तो रोक दिया गया है या रद्द कर दिया गया है. ऐसे में अब भारतीय वायु सेना, मेक इन इंडिया के तहत अपने 'प्रोजेक्ट चीता' के साथ आगे बढ़ने की योजना बना रही है, जहां भारतीय रक्षा निर्माता इजरायली हेरॉन ड्रोन को स्ट्राइक क्षमताओं से लैस करेंगे. महत्वाकांक्षी परियोजना चीता के तहत, भारतीय वायु सेना अपने मौजूदा इजरायली मूल के हेरॉन मानव रहित हवाई वाहनों को बेहतर संचार सुविधाओं और मिसाइलों के साथ उन्नत करना चाहती है, जो लंबी दूरी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकती हैं.

सरकारी सूत्रों ने बताया, "अब, भारतीय वायुसेना मेक इन इंडिया के तहत रक्षा में भारतीय रक्षा फर्मों को शामिल करके अपने ड्रोन के उन्नयन के साथ आगे बढ़ने की योजना बना रही है." भारतीय वायुसेना का उस परियोजना में मुख्य नेतृत्व है, जिसके तहत नौसेना और सेना में इजरायली ड्रोन को भी स्ट्राइक क्षमताओं और बेहतर निगरानी सहित टोही पॉड्स के साथ अपग्रेड करने की योजना है. लंबे समय से तीनों सेवाएं टोही और जासूसी उद्देश्यों के लिए वायुसेना इजरायली निर्मित खोजकर्ता II और हेरॉन यूएवी पर निर्भर हैं.

स्नूपिंग क्षमताओं में उन्नयन के साथ, जमीन पर मौजूद बलों को उन क्षेत्रों में ठिकाने के बारे में सटीक खुफिया जानकारी मिल सकेगी. इस तरह के उन्नयन से ग्राउंड स्टेशन इन विमानों को दूर से संचालित करने और उपग्रह संचार प्रणाली के माध्यम से उन्हें नियंत्रित करने में सक्षम होंगे. यूएवी की निगरानी क्षमताओं को अपग्रेड करने की योजना बनाई गई है, जो भारतीय सेना और आईएएफ द्वारा सरकार की ओर से जारी सैन्य गतिरोध के मद्देनजर बलों को दी गई आपातकालीन अधिग्रहण शक्तियों के तहत हासिल की गई हैं.

(एएनआई)

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