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Liquor Policy Case : SC ने पूछे सख्त सवाल-मनीष सिसोदिया को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत कैसे लाएंगे?

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 5, 2023, 8:20 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले (Liquor Policy Case) में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई की. शीर्ष कोर्ट ने पूछा कि आप मनीष सिसोदिया को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत कैसे लाएंगे? ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सुमित सक्सेना की रिपोर्ट.

Manish Sisodia
मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली शराब नीति मामले (Liquor Policy Case) में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जांच एजेंसियों से कई कड़े सवाल पूछे (SC asks tough questions in liquor policy case). शीर्ष अदालत ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के संबंध में ईडी के मामले की ताकत पर संदेह जताया और कहा कि सबूतों की श्रृंखला पूरी तरह से स्थापित नहीं हुई है.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से व्यवसायी दिनेश अरोड़ा के बयान को छोड़कर, जो खुद इस मामले में आरोपी हैं, सिसोदिया के खिलाफ सबूत पेश करने को कहा.

पीठ ने पूछा कि क्या किसी नीतिगत निर्णय को प्रस्तुत तरीके से कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है. सीबीआई ने तर्क दिया था कि नीति जानबूझकर विशिष्ट व्यक्तियों के पक्ष में तैयार की गई थी और व्हाट्सएप संदेशों को साक्ष्य के रूप में वर्णित किया गया था. हालांकि, पीठ ने इन संदेशों की स्वीकार्यता पर आपत्ति व्यक्त की.

पीठ ने राजू से पूछा, क्या आपने उन्हें (विजय नायर, मनीष सिसोदिया को रिश्वत पर) चर्चा करते देखा है? क्या यह स्वीकार्य होगा? क्या (अनुमोदनकर्ता द्वारा) बयान अफवाह नहीं है? पीठ ने कहा कि यह एक अनुमान है लेकिन इसे सबूतों पर आधारित होना चाहिए और जिरह में यह दो मिनट में स्पष्ट हो जाएगा. ईडी ने दावा किया था कि AAP ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों में अपने अभियान के लिए विभिन्न हितधारकों से रिश्वत के रूप में प्राप्त 100 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया था.

पीठ ने राजू से पूछा, 'प्रूफ कहां है? सबूत कहां है? आपको एक श्रृंखला स्थापित करनी होगी. पैसा शराब लॉबी से व्यक्ति तक कैसे पहुंचा... अपराध की कमाई कहां है?' पीठ ने कहा कि मनीष सिसोदिया 'साउथ ग्रुप' की बातचीत में शामिल नहीं दिखे और एजेंसियों से सवाल किया कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी कैसे बनाया गया? पीठ ने कहा, 'मनीष सिसोदिया इसमें शामिल नहीं लगते. विजय नायर तो हैं लेकिन मनीष सिसोदिया नहीं. आप उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कैसे लाएंगे?'

पीठ ने कहा कि एजेंसियों का मामला यह है कि पैसा मनीष सिसोदिया को मिला था और सवाल किया कि यह तथाकथित लीक्वर ग्रुप से उन तक कैसे पहुंचा? पीठ ने कहा कि एजेंसियों ने दो आंकड़े लिए हैं, 100 करोड़ रुपये और 30 करोड़ रुपये. कोर्ट ने पूछा कि उन्हें यह भुगतान किसने किया? पैसे देने वाले बहुत से लोग हो सकते हैं - जरूरी नहीं कि वे शराब से जुड़े हों.

पीठ ने कहा, दिनेश अरोड़ा स्वयं प्राप्तकर्ता हैं, दिनेश अरोड़ा के बयान के अलावा क्या कोई अन्य सबूत है. पीठ ने राजू से पूछा, शराब समूह कहां है - कर्नाटक या आंध्र प्रदेश? राजू ने कहा कि वे तेलंगाना में स्थित हैं. जस्टिस खन्ना ने पूछा कि वे पैसे के लिए दूसरी जगह क्यों जाते हैं?

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, 'आपको चेन स्थापित करनी होगी...यह पूरी तरह से स्थापित नहीं होती है.' राजू ने जोर देकर कहा कि यह स्थापित है. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, 'आप देखते हैं कि शराब लॉबी से व्यक्ति तक पैसा आना चाहिए और मैं आपसे सहमत हूं, हम दोनों आपसे सहमत हैं कि श्रृंखला स्थापित करना बहुत मुश्किल है क्योंकि सब कुछ गुप्त रूप से किया जाता है… बाहरी खाते में सही है… .लेकिन यहीं से आपकी योग्यता आएगी…'

राजू ने कहा कि 'अभिषेक बोइनपल्ली से पैसे की उत्पत्ति हुई है, यानी 12 करोड़ रुपये... फिर दूसरे स्थान पर कविता मगुंटा, राघव मगुंटा, सारथ रेड्डी और तीसरे स्थान पर बोइनपल्ली, यहीं से पैसे की उत्पत्ति हुई है.'

जस्टिस खन्ना, 'हमें यह कैसे मिलेगा?' राजू ने कहा कि हमारे पास बयान हैं, श्रृंखला में हर व्यक्ति इसकी पुष्टि कर रहा है. जस्टिस खन्ना ने पूछा, 'इस बात की पुष्टि कौन करता है कि पैसे का भुगतान शराब समूह द्वारा किया गया था, अब दिनेश अरोड़ा आपके सरकारी गवाह बन गए हैं, इसीलिए आपने उन्हें अपना सरकारी गवाह बनाया है... गौतम मूथा अब आपके सरकारी गवाह बन गए हैं.' राजू ने कहा कि मूथा उनका अप्रूवर नहीं है.

जस्टिस खन्ना ने राजू से पूछा, 'आप सिसोदिया को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत कैसे लाएंगे?...पैसा या तो उनकी जेब में जाता है, अगर यह किसी और की जेब में जाता है तो आप कैसे लाएंगे, और यदि यह एक कंपनी है तो हमारी परोक्ष देनदारी है सिद्धांत...' जस्टिस खन्ना ने कहा कि 'उस सिद्धांत में भी अपराधी, अन्यथा अभियोजन लड़खड़ाता है...मनी लॉन्ड्रिंग एक अलग अपराध है जिसके लिए व्यक्ति के पास कब्ज़ा है, या पांच आवश्यकताएं हैं, आप मनीष सिसोदिया के मामले में इसे कैसे स्थापित करेंगे? यह एक कानूनी और तथ्यात्मक तर्क है.'

जस्टिस खन्ना ने कहा कि आपके अनुसार यह प्रयास का मामला नहीं है, जानबूझकर वे पक्षकार हैं या वास्तव में शामिल हैं. राजू ने कहा, वास्तव में शामिल है. जस्टिस खन्ना ने कहा कि 'आपके अनुसार आपका मामला वास्तविक संलिप्तता के अंतर्गत आता है. अपराध की आय से जुड़ी प्रक्रिया या गतिविधि में, अब अपराध की आय से जुड़ी गतिविधि क्या है. क्योंकि अपराध की आय पैसे के भुगतान के बाद होती है.'

राजू ने रकम जेनरेट होने की ओर इशारा किया. जस्टिस खन्ना ने कहा, 'यह जेनरेशन नहीं है, पीएमएलए जेनरेशन से संबंधित नहीं है. यह अपराध की आय से जुड़ी प्रक्रिया या गतिविधि से संबंधित है. इसलिए, जब तक अपराध की आय लागू नहीं हो जाती, पीएमएलए लागू नहीं होता.'

मामले में सुनवाई अगले बुधवार को भी जारी रहेगी. शीर्ष अदालत सिसोदिया द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें सीबीआई और ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था.

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