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माफिया अतीक अहमद के मिट्टी में मिलने के बाद भी वजूद में कैसे है उसका जमींदोज कार्यालय

माफिया अतीक अहमद का कार्यालय प्रयागराज के चकिया इलाके में स्थित है. इस पर पहली बार बसपा शासन में बुलडोजर चला था. इसके बाद योगी सरकार में भी धवस्तीकरण की कार्रवाई की गई. इसके बाद भी कार्यालय से लाखों रुपए, खून के निशान आदि पुलिस को मिल चुके हैं. आईए जानते हैं आखिर इतनी कार्रवाई होने के बाद भी ये कार्यालय आज तक वजूद में कैसे है.

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Published : Apr 25, 2023, 8:27 PM IST

Updated : Apr 25, 2023, 10:45 PM IST

माफिया अतीक के कार्यालय पर हुई कार्रवाई के बारे में बताते एसीपी सत्येंद्र तिवारी

प्रयागराज: माफिया अतीक अहमद भले ही मिट्टी में मिल चुका है, लेकिन उसका कार्यालय दो बार ढहाए जाने के बावजूद आज भी वजूद में है. उमेश पाल हत्याकांड के बाद इस कार्यालय से 74 लाख से अधिक कैश और 10 पिस्टल बरामद हुई थी. इसके बाद यह कार्यालय चर्चा में आया था. उसके बाद अतीक अहमद के ध्वस्त कार्यालय में दो दिन पहले खून के धब्बे, चाकू, खून से सना कपड़ा मिला था. जिसके बाद एक बार फिर अतीक अहमद का ये कार्यालय सुर्खियों में आ गया है. मंगलवार को कार्यालय से दुर्गंध आने पर पुलिस टीम यहां जांच करने पहुंची थी.

अतीक के इस खंडहर नुमा कार्यालय से बदबू आने की सूचना पर पुलिस ने छापेमारी की है. छापेमारी के दौरान पुलिस ने पूरे कार्यालय को खंगाला. लेकिन, पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. एसीपी सत्येंद्र तिवारी का कहना है कि पुलिस बल तैनात है. बैरिकेडिंग भी करा दी गई है. जब तक कोई सूचना प्रमाणित नहीं होती है तब तक मीडिया बंधुओं से भी बैलेंस रिपोर्टिंग करने की अपील है. एसीपी ने कहा कि रिपोर्ट आने में थोड़ा समय लगता है. पूरी रिपोर्ट भेज दी गई है और शाम तक एसएसएल की रिपोर्ट आने की उम्मीद है. बताया कि सीसीटीवी खंडहरनुमा ऑफिस के दोनों तरफ लगाए गए हैं. जिसमें देखा जा रहा है कि ये किसकी शरारत है. चूंकी यह आम रास्ता है और रोजाना लोग यहां से आते जाते रहते हैं.

अतीक अहमद का ये कार्यालय बसपा शासन काल में ध्वस्त किया गया था. उसके बाद दो साल पहले भाजपा के शासनकाल में भी इस कार्यालय को जमींदोज किया जा चुका है. इसके बावजूद बाहुबली का यह कार्यालय वजूद में है. फिलहाल उमेश पाल हत्याकांड में दो बार सुर्खियों में छाने के बाद अतीक अहमद के इस कार्यालय को चारों तरफ से घेरकर पुलिस ने अपने सुरक्षा घेरे में ले लिया है. जिससे कि बाहरी लोग इस कार्यालय में प्रवेश न कर सकें.

अतीक अहमद का कार्यालय प्रयागराज के चकिया इलाके में स्थित है. इस कार्यालय को 2007 में प्रदेश में बसपा की सरकार बनने के बाद माफिया की पांच सम्पत्तियों को कुर्क करने के साथ ही ध्वस्त भी करवाया गया था. उसके बाद प्रदेश में 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद अतीक अहमद ने कुर्क कार्यालय को कानूनी प्रक्रिया पूरी करके वापस अपने कब्जे में ले लिया था.

इसके बाद सपा सरकार के कार्यकाल में अतीक अहमद ने इस कार्यालय को आलीशान तरीके से बनवाया और कार्यालय को तीन मंजिला बनवा लिया था. उसके बाद यही से अतीक का जुर्म का साम्राज्य चलाया जाता था. इसी कार्यालय में उमेश पाल का अपहरण करके लाया गया और टॉर्चर भी किया गया था. अतीक अहमद का चकिया वाला कार्यालय उसके जुर्म के साथ ही उसके राजनीतिक साम्राज्य को चलाने का भी अड्डा था. जहां से वो राजनीतिक गतिविधियों को भी संचालित करता था. आज भी अतीक अहमद से जुड़े हुए तमाम दस्तावेज उस कार्यालय के अंदर मौजूद है. जिससे अतीक से जुड़े तमाम ऐसे साक्ष्य हैं जो वहां पर बाहुबली अतीक अहमद से जुड़ी यादों को ताजा करती है.

भाजपा कार्यकाल में कुर्की और ध्वस्तीकरण हुई थी: अतीक अहमद के इस कार्यालय पर 2007 के बाद 2021 में योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में कुर्की की कार्रवाई की गई थी. इसके साथ ही अतीक अहमद के कार्यालय बुलडोजर लगाकर ध्वस्त किया गया था. लेकिन, उस ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान अतीक अहमद के कार्यालय के आगे के उस हिस्से को ही गिराया गया जो अवैध तरीके से बनाया गया था. कार्यालय के पिछले हिस्से का कुछ भाग नहीं गिराया गया था. जहां पर उमेश पाल की हत्या के बाद कैश और अवैध असलहे छिपाकर रखे गए थे. इसी बीच मंगलवार की सुबह अतीक अहमद के कार्यालय में कई जगहों पर खून के निशान मिले थे. जिसकी सैम्पलिंग करके जांच के लिए फॉरेंसिक टीम ले गई है. अब फॉरेंसिक लैब रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि अतीक अहमद के कार्यालय में मिला खून किसका था.

अतीक अहमद से ही थी कार्यालय की शान:एक सवाल यह भी उठता है कि अतीक अहमद का कार्यालय जमींदोज होने के बाद भी वजूद में कैसे है. प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने अतीक अहमद के पुश्तैनी घर समेत उसके तमाम गुर्गों तक के मकान को गिराया है. लेकिन, अतीक अहमद के कार्यालय को पूरी तरह से जमींदोज क्यों नहीं किया. माफिया का कार्यालय पूरी तरह से जमींदोज क्यों नहीं किया गया, उसके पिछले हिस्से को किस वजह से छोड़ा गया है, इस बारे में पीडीए का कोई अफसर बात करने को तैयार नहीं है.

हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अतीक अहमद के कार्यालय के पीछे का हिस्सा वैध है. उसी कारण दो बार ध्वस्तीकरण करने के दौरान अतीक अहमद के लोगों द्वारा उस हिस्से को गिराने से रोका गया था. यही वजह है कि भले ही अतीक अहमद आज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके बावजूद कार्यालय का वजूद कायम है.

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Last Updated : Apr 25, 2023, 10:45 PM IST

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