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Khalistani Extremists : एक-एक कर निपट रहे खालिस्तानी उग्रवादी !

एक के बाद एक खालिस्तानी उग्रवादी निपट रहे हैं. उन्हें चुन-चुनकर मारा जा रहा है. उन्हें कौन मार रहा है, किसी को पता नहीं है. ये एक दूसरे को भी निपटाने में लगे हुए हैं. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार अरुणिम भुइयां की एक रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 26, 2023, 6:40 PM IST

नई दिल्ली : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए मनगढ़ंत आरोपों पर अभी बहस चल ही रही थी, कि एक और खालिस्तानी उग्रवादी सुखदूल सिंह सुक्खा की कनाडा के विनिपेग में हत्या कर दी गई. ट्रूडो ने दिल्ली पर खालिस्तानी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर को मरवाने का आरोप लगाया था, लेकिन कोई सबूत पेश नहीं किए. निज्जर की हत्या कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में की गई थी.

सुक्खा की हत्या विनिपेग के हेजलटन ड्राइव रोड स्थित उसके आवास पर की गई. सुक्खा का गैंगस्टर अर्शदीप सिंह डाला से गहरा संबंध था. ऐसा कहा जाता है कि हत्यारे डाला को ही टारगेट करने आए थे, लेकिन हमलावरों के आने से पल भर पहले ही वह फ्लैट छोड़ चुका था. कनाडा की मीडिया ने सुखदूल की हत्या को गैंगवार का नतीजा बताया है. सुक्खा की हत्या खालिस्तानी उग्रवादियों की हाल के दिनों में विदेश में हुई हत्या की अगली कड़ी है.

छह मई को खालिस्तान कमांडो फोर्स के मुखिया परमजीत सिंह पंजवार की लाहौर में उस समय हत्या कर दी गई, जब वह सुबह की सैर पर था. वह सनफ्लॉवर हाउसिंस सोसाइटी के पार्क में था, तभी उस पर दो हमलावरों ने फायर कर दिया. हत्या करने के बाद वे फरार हो गए.

63 वर्षीय परमजीत ड्रग्स और हथियार स्मलिंग में संलिप्त था. भारत सरकार ने उसे यूएपीए के तहत आतंकी घोषित कर रखा था. उसे आईएसआई का भी सपोर्ट मिल रहा था. वह मूल रूप से पंजाब के तरनतारन जिले का रहने वाला था.

15 जून को खालिस्तान लिब्रेशन फोर्स के नेता अवतार सिंह खंडा की यूके के बर्मिंघम में एक अस्पताल में हत्या कर दी गई. कुछ रिपोर्ट बताते हैं कि उसकी फूड प्वाइजनिंग से हत्या की गई, जबकि कुछ रिपोर्ट बताते हैं कि उसकी मौत ब्लड कैंसर से हुई.

लंदन में भारतीय उच्चायुक्त पर हुए हमले के पीछे अवतार का ही हाथ बताया जा रहा है. यह हमला 19 मार्च को किया गया था. इसने ही अमृतपाल सिंह को आगे किया. उसे भारत भेजा. और उसे वारिस पंजाब दे का मुखिया भी बनाया.

हालांकि, खुफिया एजेंसी के अनुसार अवतार की हत्या प्रतिद्वंद्वी खालिस्तानी एक्टिविस्टों की वजह से हुई. राइवल गैंग वाले अवतार को बोझ समझने लगे थे, क्योंकि भारतीय उच्चायुक्त पर हुए हमले में वह एक्सपोज हो चुका था.

इसी साल 19 जून को 45 वर्षीय हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई. वह खालिस्तान टाइगर फोर्स का नेता था. वह प्रतिबंधित संगठन सिख ऑफ जस्टिस के कनाडा विंग का भी मुखिया था. उसकी हत्या कनाडा के वैंकुवर के सरे गुरुद्वारा में की गई.

वह मूल रूप से पंजाब के जालंधर के हरसिंघपुर का रहने वाला था. वह सरे में प्लंबर का काम करता था. सरे गुरुद्वारा का उसे प्रमुख चुना गया था. 2013-14 में वह पाकिस्तान गया था. उसने वहां पर जगतार सिंह तारा से मुलाकात की थी. तारा केटीएफ का मुखिया है. उसे 2015 में थाईलैंड से गिरफ्तार किया गया था. निज्जर ने आईएसआई के अधिकारियों से भी मुलाकात की थी. एनआईए ने 2020 में यूएपीए के तहत उसे आतंकी घोषित किया था. उस पर 10 लाख का इनाम रखा गया था.

18 सितंबर को ट्रूडो ने कनाडा की संसद में भारत के खिलाफ एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने निज्जर की हत्या का ठीकरा भारत पर फोड़ दिया. भारत ने ट्रूडो के इस आरोप को आधारहीन और प्रेरित बताया. भारत ने कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को पांच दिनों के अंदर देश छोड़ने का आदेश दे दिया. इससे पहले कनाडा ने भी भारत के एक राजनयिक को देश छोड़ने को कहा था.

भारत ने कनाडा में रह रहे भारतीयों को एडवायजरी जारी की. भारत से कनाडा जाने वालों को भी सावधान रहने को कहा गया. कनाडाई नागरिकों को वीजा नहीं देने का आदेश जारी किया गया. भारत ने दिल्ली में कनाडा के राजनयिकों की संख्या कम करने को कहा. भारत ने कहा कि जितने भारतीय राजनयिक ओटावा में हैं, उतनी ही संख्या में दिल्ली में राजनयिक रह सकते हैं.

भारत ने खालिस्तानी अलगाववादियों से संबंधित दस्तावेज कनाडा को सौंपे. इनमें उनके नाम शामिल हैं, जो 2020 के बाद से भारत से भागकर कनाडा में रह रहे हैं. कनाडाई अधिकारियों ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. उलटे ट्रूडो उस व्यक्ति का समर्थन लेकर सरकार चला रहे हैं, जो खालिस्तानी समर्थक है, उसका नाम जगमीत सिंह है. ट्रूडो सरकार जगमीत की पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन पर टिकी हुई है.

सुक्खा की हत्या मामले में भारत ने इस गैंगस्टर के बॉस अर्शदीप सिंह डाला से संबंधित दस्तावेज सौंपे हैं. इसमें सारे साक्ष्य दिए गए हैं, जिसके आधार पर बताया गया है कि डाला को आईएसआई और लश्कर का समर्थन प्राप्त है. अब कनाडा इस पर कार्रवाई करता है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी.

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