नई दिल्ली: गृह मंत्रालय पांच नक्सल प्रभावित राज्यों बिहार, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सुरक्षा संबंधी व्यय योजना (एसआरई) के तहत बजट में कटौती कर सकता है, क्योंकि ये राज्य 2022-23 के लिए अपने उपयोगिता प्रमाणपत्र का एक बड़ा हिस्सा केंद्र को उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं थे. सूत्रों ने बताया कि एसआरई योजना के तहत राज्यवार फंड जारी किया जाता है.
सूत्रों ने आगे कहा कि योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य व्यय उठा रहे हैं और गृह मंत्रालय को दावे प्रस्तुत कर रहे हैं. दावों और दिशानिर्देशों और अन्य प्रासंगिक नियमों के आधार पर राज्यों को प्रतिपूर्ति की जाती है. गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश के बाद गृह मंत्रालय के संबंधित अधिकारी इन पांच राज्यों के साथ एसआरई फंड की समीक्षा बैठक करेंगे. बैठक बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी.
गौरतलब है कि दिल्ली में वामपंथी प्रभाव वाले (एलडब्ल्यूई) राज्यों की हाल ही में समाप्त हुई, समीक्षा बैठक के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने अगले दो वर्षों में देश से नक्सलवाद को खत्म करने का आह्वान दोहराया है. वामपंथी उग्रवाद के खतरे को समग्र रूप से संबोधित करने के लिए, 2015 में वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को मंजूरी दी गई थी.
यह एक बहु-आयामी रणनीति की परिकल्पना करता है, जिसमें सुरक्षा संबंधी उपाय, विकास हस्तक्षेप, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकदारियों को सुनिश्चित करना आदि शामिल है. सुरक्षा के मोर्चे पर, केंद्र सरकार केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल बटालियन, प्रशिक्षण, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन, उपकरण और हथियार, खुफिया जानकारी साझा करना, गढ़वाले पुलिस स्टेशनों का निर्माण आदि प्रदान करके वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्य सरकार को सहायता प्रदान करती है.
पिछले पांच वर्षों के दौरान विशेष बुनियादी ढांचा योजना (एसआईएस), सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) और विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजनाओं के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की क्षमता निर्माण के लिए 4,931 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसके अलावा, एलडब्ल्यूई प्रबंधन के लिए केंद्रीय एजेंसियों की सहायता (एसीएलडब्ल्यूईएम) योजना के तहत, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा शिविरों में हेलीकॉप्टरों के उपयोग और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को संबोधित करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को 764 करोड़ रुपये दिए गए हैं.