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Holi 2023 : देशभर में शुरू हो गयी तैयारी, जानिए कब जलेगी होलिका, कब मनायी जाएगी होली

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Published : Feb 7, 2023, 2:29 PM IST

Updated : Mar 7, 2023, 12:32 PM IST

होली का त्योहार भले ही मार्च के महीने में मनाया जाएगा लेकिन उसकी तैयारियां शुरू हो गयी हैं. इसलिए आपको इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं कि अबकी बार होलिका कब जलेगी व होली किस दिन मनायी जाएगी...

Holi 2023 Holika Dahan
होलिका दहन की तैयारी (फाइल फोटो)

हमारे देश में होली का त्योहार जोर-शोर से अलग-अलग तरह की परंपराओं के साथ पूरे देश में मनाया जाता है. इसकी तैयारियां वैसे तो कुछ जगहों पर बसंत पंचमी के दिन से शुरू हो जाती हैं, वहीं कुछ जगहों पर इसका शुभारंभ माघ पूर्णिमा के दिन होता है. आमतौर पर होली की शुरुआत गूलर या किसी अन्य वृक्ष की टहनी को होलिका दहन वाले स्थान पर गाड़ किया जाता है. इसी परंपरा को होली का डंडा गाड़ना भी कहते हैं.

होलिका दहन की तैयारी

40 दिन पहले बसंत पंचमी के दिन होती है शुरुआत
होलिका दहन के लिए होलिका को तैयार करने की प्रक्रिया वैसे तो देश के अधिकतर भागों में 40 दिन पहले ही शुरू हो जाती है. बसंत पंचमी के दिन इसकी शुरुआत से देशभर में मांगलिक कार्यों की परंपरा भी शुरू हो जाती है. आमतौर इस दिन गूलर वृक्ष की टहनी या अपनी मान्यता के अनुसार किसी ऐसे पौधे की शाखा को गाड़ते हैं, जो उनके यहां बहुतायत में उपलब्ध होता है. इसे एक तय जगह पर परंपरा के अनुसार गाड़ा जाता है. यह स्थान हर एक गांव या मोहल्ले में पहले से सुनिश्चित होता है.

होलिका दहन की तैयारी (फाइल फोटो)

फिर अगले 40 दिनों तक इसको बड़ा स्वरूप देने के लिए उसके पास लकड़ियों व अन्य सामान एकत्रित करते हैं, ताकि होलिका को भव्य रूप दिया जा सके. कुछ जगहों पर होलिका की मूर्ति भी रखी जाती है और उसे होली के एक दिन तय महुर्त में पूजा पाठ करके जलाया जाता है. इस दौरान कई स्थानों पर फाग भी गाए जाते हैं.

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होलिका दहन की तैयारी (फाइल फोटो)

होली का डंडा रोपने की प्रथा
ऐसा कहा जाता है कि होली का डंडा भक्त प्रहलाद और उसकी बुआ होलिका का प्रतीक है. कुछ जगहों पर एक तो कुछ जगहों पर दो डंडे लगाए जाते हैं. आपको होलिका व भक्त प्रहलाद की पौराणिक कथा तो याद ही होगी, जिसमें होलिका भक्त प्रहलाद को अग्नि में जलाने की कोशिश करती है, लेकिन भक्त प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं होता है और होलिका जलकर खाक हो जाती है. इसीलिए इसे अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक मानकर मनाया जाता है. कुछ जगहों पर इसे माघ माह की पूर्णिमा के दिन लगाया जाता है और फिर होलिका धीरे धीरे भव्य रूप दिया जाता है.

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Last Updated : Mar 7, 2023, 12:32 PM IST

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