हैदराबाद : चार अक्टूबर की रात करीब सवा 9 बजे अचानक फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम की सेवाएं ठप हो गईं. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ और यूजर्स को उम्मीद रही कि कुछ देर में ही इसे ठीक कर लिया जाएगा लेकिन मिनटों के बाद घंटे भी बीतते चले गए और समस्या जस की तस बनी रही. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने इस दिक्कत का सामना किया, जिसे ठीक करने में सफलता भी 7 घंटे बाद ही मिल पाई. हालांकि पूरी तरह से सर्विस शुरू करने में अभी भी वक्त लग रहा है. यही वजह है कि साइबर विशेषज्ञों की चिंताएं सामने आने लगी हैं.
कुछ विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि इतने लंबे समय तक दुनिया की सबसे उम्दा तकनीक से लैस इन प्लेटफार्म्स का अचानक ठप हो जाना किसी बड़े साइबर हमले की ओर इशारा करता है. वहीं कुछ जानकार यह भी कह रहे हैं कि इसके पीछे सोशल मीडिया कंपनी की वह सच्चाई सामने आने का डर है जिसे हाल ही में फेसबुक के एक पूर्व कर्मचारी ने एक इंटरव्यू के दौरान मीडिया से साझा किया था. जिसमें कई यूजर्स की सुरक्षा को लेकर कई चौंकाने वाले दावे किए गए हैं.
हालांकि व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम व मैसेंजर की स्पीड थमने के बाद ट्विटर पर मैसेजेस की बाढ़ सी आ गई है और कुछ यूजर्स मीम्स और जोक्स के सहारे ही काफी कुछ कह रहे हैं. तकनीकी समस्या और वास्तविक सच के बीच झूल रहे इस 'आऊटेज' के पीछे WSJकी वह रिपोर्ट भी सुर्खियों में है जिसमें टीनएजर्स की मानसिक सुरक्षा को लेकर सवाल किए गए हैं. कई अमेरिकी सांसदों ने इन रिपोर्ट्स के आधार पर जांच की भी मांग की है.
क्या है फेसबुक फाइल्स
अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स की मानें तो सोशल मीडिया कंपनी के बारे में दस्तावेज लीक करने वाले फेसबुक के एक पूर्व कर्मचारी के इंटरव्यू के ठीक एक दिन बाद यह व्यवधान पैदा हुआ. फेसबुक के पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हौगेन ने रविवार को सीबीएस न्यूज को बताया था कि कंपनी ने 'सुरक्षा से अधिक विकास' को प्राथमिकता दी है.
मंगलवार को ही युवा उपयोगकर्ताओं के मानसिक स्वास्थ्य पर इंस्टाग्राम के प्रभाव पर कंपनी के शोध के बारे में 'प्रोटेक्टिंग किड्स ऑनलाइन' नामक एक सुनवाई में सीनेट उपसमिति के समक्ष उन्होंने गवाही दी. फेसबुक फाइल्स में व्हिसलब्लोअर के खुलासे के बाद यह समस्या हुई. शायद कंपनी ने दुनियाभर के करोड़ों यूजर्स को अंधेरे में रखा है.
सामान्य नहीं है यह 'आउटेज'
साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि प्रमुख वेबसाइटों के लिए आउटेज असामान्य नहीं हैं. उदाहरण के लिए जो चीज इस बार के आउटेज को असामान्य बनाती है, वह है इसका ग्लोबल आकार, पैमाना और संदर्भ. विशेषज्ञ बताते हैं कि डोमेन नेम सिस्टम से जुड़ी कई रुकावटें आमतौर पर काफी जल्दी ठीक हो जाती हैं. वे अक्सर स्थानीय भी होती हैं.
कुछ लोग ऐसी वेबसाइट खोलने में असमर्थ होते हैं जिसे दूसरे देश में देखा जा सकता है. जबकि यह आउटेज वैश्विक स्तर पर है और फेसबुक से जुड़े सभी स्पिन-ऑफ को प्रभावित कर रहा है. जिस समय से यह ऑफ ग्रिड है वह भी असामान्य है.
सूत्रों की मानें तो फेसबुक मुख्यालय में हालात काफी खराब हैं क्योंकि क्योंकि तकनीकी विशेषज्ञ समस्या को ठीक करने के लिए जूझ रहे हैं. इसका कारण क्या है, यह भी स्पष्ट नहीं है. आमतौर पर आउटेज हैक के कारण नहीं होते हैं लेकिन इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है.
WSJ की रिपोर्ट में यह खुलासा