शिमला:हिमाचल में रिवाज बदलेगा या ताज ? ये सवाल चुनावी समर के दौरान हिमाचल की सियासी फिजाओं में तैरता रहा. गुरुवार को हिमाचल की जनता ने एक बार फिर 1985 से चले आ रहे रिवाज को जारी रखते हुए 5 साल बाद सरकार बदल दी है. हिमाचल प्रदेश में पिछले 37 साल से कोई भी पार्टी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है. इस बार बीजेपी ने हिमाचल में रिवाज बदलकर सरकार रिपीट करने का दावा किया था लेकिन जनता से सारे दावों की हवा निकालकर कांग्रेस के हाथ सत्ता की चाबी सौंप दी. (no party has been repeat govt in Himachal )
44 सीटों से 25 पर पहुंची बीजेपी-साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की 68 सीटों में से 44 सीटों पर जीत हासिल की और बंपर बहुमत के साथ सरकार बनाई. जबकि इस बार बीजेपी 25 सीटों पर सिमट गई है. 2017 में 21 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने इस बार 40 सीटें जीती हैं. बीजेपी के लिए हार इतनी करारी रही कि चुनाव मैदान में उतरे सरकार के 11 में से 8 मंत्री चुनाव हार गए.
धरे रह गए बीजेपी के सूरमाओं के दावे- हिमाचल में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने पीएम मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्रियों की फौज के साथ बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री को प्रचार के रण में उतारा था. बीजेपी ने कुल 40 स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारा और प्रचार के दौरान दो दिन हर विधानसभा सीट पर रैली, जनसभा या जन संपर्क अभियान चलाया. हर किसी ने प्रचार के दौरान हिमाचल में सरकार रिपीट करने का दावा किया लेकिन सारे दावे धरे के धरे रह गए.
दरअसल इस साल की शुरुआत में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 4 राज्यों में जीत हासिल की थी. खास बात ये है कि इन चारों राज्यों यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में बीजेपी ने सरकार रिपीट की है. खासकर यूपी में करीब 35 साल और उत्तराखंड में राज्य गठन के 22 साल बाद सरकार रिपीट हुई है. बीजेपी ने जो इन राज्यों में किया है वही दावा पार्टी के हर नेता ने हिमाचल में भी किया था. (Himachal Assembly Election Result 2022) (HP Poll Result 2022) (Election candidates himachal)
हिमाचल में नहीं बदला रिवाज- साल 1983 में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकुर राम लाल की जगह वीरभद्र सिंह को दिल्ली से भेजा और 1983 से 1985 तक बचे हुए दो सालों के लिए मुख्यमंत्री रहे. 1985 में छठी विधानसभा के लिए हुए विधानसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस की वापसी हुई और मुख्यमंत्री एक बार फिर वीरभद्र सिंह बने. इसके बाद से कोई भी दल सरकार रिपीट नहीं कर पाई है. (Government did not repeat in Himachal)