शिमला: Himachal Election 2022: राजनीति को अनिश्चितता का खेल कहा जाता है, इसलिए कहा जाता है कि राजनीति में न तो कोई अपना होता है और न ही कोई पराया होता है. इन दिनों हिमाचल की सियासत में ऐसा ही देखने को मिल रहा है. जहां पर कहीं बाप ने बेटे की हठ के आगे घुटने टेक दिए तो कहीं मामा-भांजा, चाचा-भतीजा तो कहीं दामाद-ससुर एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में थे. (HP Elections 2022) (Himachal Election Result 2022)
कुल्लू में तो बाप को बेटे की हठ के आगे टिकट तक से हाथ धोना पड़ा. पिता बेटे के बीच रिश्तों की खटास पिता पर भारी पड़ गई. कुल्लू से बीजेपी ने महेश्वर सिंह को उम्मीदवार बनाया तो बेटे हितेश्वर सिंह ने बंजार से आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनावी ताल ठोक दी. जिससे नाराज बीजेपी हाईकमान ने कुल्लू में पूर्व विधायक और सांसद महेश्वर सिंह की टिकट काट दी. पिता महेश्वर सिंह पुत्र को मनाने में असफल रहे और पुत्र मोह में अपनी टिकट की बलि दे दी. महेश्वर सिंह का कहना था कि आज के समय में बच्चे किसी के वश में नहीं है और बेटे को मनाने की उनकी ठेकेदारी भी नहीं है.
ससुर और दामाद चुनावी दंगल: सोलन सीट पर भी रिश्ते दांव पर थे. यहां पर ससुर और दामाद चुनावी दंगल में एक दूसरे के सामने थे. ससुर डॉ. धनी राम शांडिल (कांग्रेस) और दामाद डॉ. राजेश कश्यप (BJP) की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. 2017 के चुनावों में भी शांडिल और राजेश कश्यप आमने सामने थे और उसमें जीत कांग्रेस प्रत्याशी धनीराम शांडिल की हुई थी. इस बार फिर से दोनों दलों ने ससुर दामाद पर दांव खेला है और इस बार फिर ससुर डॉ. धनी राम शांडिल की जीत हुई है. धनीराम शांडिल को 29523 वोट मिले हैं और राजेश कश्यप को25887 वोट मिले हैं. (Himachal Election Result 2022) (HP Poll Result 2022)
कांग्रेस प्रत्याशी धनीराम शांडिल और डॉ. राजेश कश्यप (ससुर-दामाद). ऊना में मामा भांजे के बीच टक्कर: ऊना के कुटलैहड़ में इस बार मामा और भांजे के बीच चुनावी टक्कर थी. यहां बीजेपी प्रत्याशी मंत्री वीरेंद्र कंवर का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र भुट्टो के साथ हो रहा था. जो रिश्ते में वीरेंद्र कंवर के भांजे हैं. इस सीट पर भी मामा भांजे का रिश्ता राजनीतिक दांव पर लगा हुआ था. ऐसे में इस बार कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र भुट्टो की जीत हुई है. या यूं कहें कि भांजे ने मामा को मात दे दी है. देवेंद्र भुट्टो को 35956वोट और वीरेंद्र कंवर को 28503वोट मिले हैं.
बीजेपी प्रत्याशी मंत्री वीरेंद्र कंवर और कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र भुट्टो. भरमौर विधानसभा में चाचा-भतीजा चुनावी जंग में:जनजातीय क्षेत्र चंबा भरमौर में भी एक और रिश्ते पर राजनीति महत्वकांक्षा हावी है. यहां भरमौर विधानसभा में चाचा-भतीजा चुनावी जंग में थे. बीजेपी प्रत्याशी डॉ. जनकराज नौकरी छोड़कर राजनीति में कूद पड़े थे. जनक कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी के चाचा हैं. इस सीट पर पहली बार बीजेपी प्रत्याशी डॉ. जनक राज अपने चाचा के खिलाफ चुनाव मैदान में थे. ऐसे में इस बार यहां चाचा की जीत हुई है. बीजेपी प्रत्याशी डॉ. जनकराज को 29957वोट मिले हैं. वहीं, पूर्व मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी को 24845वोट मिले हैं.
चाची को भतीजे ने हराया:चंबा में ही सदर सीट पर नीलम नैय्यर भाजपा से चुनाव मैदान में थीं. कांग्रेस से नीरज नैय्यर उनके भतीजे हैं. नीलम चाची हैं और नीरज भतीजे. दोनों के बीच चुनावी मुकाबला जोरदार था. जिसमें चाची को भतीजे ने हरा दिया है.कांग्रसे के नीरज नैय्यर को 31898 मिले. इनके मुकाबले में रही भाजपा की नीलम नैय्यर को 24602 वोट हासिल हुए. (Neelam Nayyar BJP Candidate from Chamba) (Neeraj Nayyar Congress Candidate from Chamba) (Neelam and Neeraj Nayyar are relatives)
चंबा सीट से भाजपा प्रत्याशी नीलम नैय्यर और कांग्रेस प्रत्याशी नीरज नैय्यर. पिता को द्रंग से बेटी को मंडी सदर से टिकट:कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर द्रंग विधानसभा (Assembly Election) क्षेत्र और उनकी बेटी मंडी सदर से चुनाव लड़ रही हैं. पिता पुत्री दोनों कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों के चुनाव क्षेत्र अलग होने और पार्टी एक होने से रिश्तों में मिठास बनी हुई है. लेकिन इस बार पिता और बेटी दोनों को हार का मुंह देखना पड़ा है. द्रंग से कौल सिंह ठाकुर और मंडी सदर से चंपा ठाकुर दोनों चुनाव हार गए हैं.
वहीं, मंडी में बहन ने ही भाई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. मंडी जिले में सबसे अधिक रोचक मुकाबला धर्मपुर में होना था, लेकिन जल शक्ति मंत्री महेंद्र ठाकुर ने परिवार के बीच होने वाली राजनीतिक जंग के दुष्परिणामों को भांपते हुए समय रहते बेटी को मनाकर क्षति नियंत्रित कर ली. पिता महेन्द्र सिंह ठाकुर की मध्यस्थता के बाद भाई दूज पर भाई बहन एक हो गए. अब उनका बेटा रजत ठाकुर धर्मपुर से बीजेपी का प्रत्याशी थे और दामाद संजीव भंडारी जोगिंदर नगर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन इनका भी किस्मत ने साथ नहीं दिया और दोनों की हार हुई है.
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