नई दिल्ली: सीबीआई ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई एस विवेकानंद रेड्डी की हत्या के एक आरोपी को तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने को बुधवार को 'स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी' करार देते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका का समर्थन करती है. न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाश पीठ रेड्डी की बेटी सुनीता रेड्डी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टी गंगी रेड्डी उर्फ येर्रा गंगी रेड्डी को सशर्त जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने पीठ से कहा, 'हमने ऐसा कभी नहीं सुना कि जमानत रद्द करने वाला आदेश जमानत की अनुमति देता हो. यह कैसे संभव है? स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी.' शीर्ष अदालत ने 18 मई को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सीबीआई और आरोपी को नोटिस जारी किया था.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बुधवार को सुनवाई के दौरान पीठ से कहा, "मैं सीबीआई की ओर से उपस्थित हूं. हम याचिका का समर्थन करते हैं. हम कल तक अपना जवाबी हलफनामा दायर करना चाहते हैं." उन्होंने पीठ से शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया. पीठ ने कहा, ‘‘हम एक संतुलित आदेश पारित करेंगे.’’ सुनीता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, ‘‘जमानत रद्द करने की स्थिति में जमानत कैसे दी जा सकती है.’’
सुनवाई के दौरान, पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के अंतिम हिस्से का उल्लेख किया, जिसने निचली अदालत को निर्देश दिया था कि आरोपी को एक जुलाई को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतने की ही दो जमानत राशि पर रिहा किया जाए. आरोपी की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि उन्होंने भी जमानत रद्द करने के उच्च न्यायालय के 27 अप्रैल के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.
पीठ ने कहा, "आप इस (याचिका) की एक प्रति तामील करें क्योंकि यदि उन्होंने इस आदेश की सत्यता को चुनौती दी है, तो हमें उन्हें सुनना होगा. हमारे लिए यह उचित नहीं होगा कि हम इसे अलग रख दें और फिर कल आपके आवेदन पर विचार करें. हम दोनों मामलों को एक साथ लेंगे." मामले में अगली सुनवाई 26 मई को होगी.
उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल के अपने आदेश में कहा था, "आरोपी नंबर 1 (टी गंगी रेड्डी) को पांच मई, 2023 को या उससे पहले आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है. उसके आत्मसमर्पण करने पर, उसे 30 जून, 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाएगा जो सीबीआई द्वारा जांच पूरी करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की गई बाहरी सीमा है."