श्रीनगर :कश्मीर घाटी के ज्यादातर हिस्सों में बर्फबारी के बाद घाटी का देश के अन्य हिस्सों से सड़क और वायु संपर्क कट गया है.
अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर स्थानों पर रात में और कुछ स्थानों पर तड़के बर्फबारी शुरू हुई. उन्होंने बताया कि उत्तरी कश्मीर के कुछ इलाकों में हल्की बर्फबारी हुई, जबकि मध्य और दक्षिणी कश्मीर के अधिकतर हिस्सों में मध्यम बर्फबारी हुई. वहीं घाटी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मध्यम से भारी बर्फबारी हुई.
अधिकारी ने बताया, 'फिलहाल दोपहर तक इसी तीव्रता से बर्फबारी जारी रहने की संभावना है. हालांकि, शाम तक इसके अस्थायी तौर पर रुकने की संभावना है.'
उन्होंने बताया कि श्रीनगर में तीन से चार इंच तक ताजा बर्फबारी हुई. वहीं काजीगुंड में नौ इंच तक बर्फबारी हुई. अधिकारियों ने बताया कि पर्यटन के लिए मशहूर पहलगाम में पांच से छह इंच तक और कोकेरनाग में नौ इंच तक बर्फबारी हुई.
उत्तरी कश्मीर के मशहूर पर्यटन स्थल गुलमर्ग में चार इंच तक बर्फबारी हुई. वहीं श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के जवाहर सुरंग के आस-पास 10 इंच तक बर्फबारी हुई. ताजा बर्फबारी की वजह से राजमार्ग पर यातायात निलंबित हो गया. यातायात नियंत्रण कक्ष के अधिकारी ने बताया कि जवाहर सुरंग के आस-पास भारी बर्फबारी की वजह से राजमार्ग को बंद कर दिया गया.
वहीं बर्फबारी के कारण श्रीनगर हवाईअड्डे पर विमानों का पहुंचना और उड़ान भरना बंद है.
श्रीनगर हवाईअड्डे के एक अधिकारी ने बताया कि रनवे पर बर्फ जमा होने की वजह से अब तक यहां विमानों का परिचालन बंद है. रनवे से बर्फ हटाने के बाद ही परिचालन शुरू करने के संबंध में फैसला लिया जाएगा.
बर्फबारी की वजह से घाटी में न्यूनतम तापमान में सुधार, तो हुआ है लेकिन अब भी यह जमाव बिन्दु से नीचे है. श्रीनगर में रात का तापमान शून्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. वहीं गुलमर्ग में तापमान शनिवार रात में शून्य से पांच डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. पहलगाम में तापमान शून्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान दर्ज हुआ.
मौसम कार्यालय ने दक्षिणी कश्मीर, गुलमर्ग, बनिहाल-रामबन, पुंछ, राजौरी, किश्तवाड़, जांस्कर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के द्रास तथा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सोमवार से अगले दो दिनों तक मध्यम से भारी बर्फबारी की संभावना जताई है.
पढ़ें-'ला नीना' का 2020 पर रहा प्रभाव, भारत में रिकॉर्ड से ज्यादा बारिश
कश्मीर में फिलहाल 'चिल्लई-कलां' चल रहा है. यह 40 दिन की अवधि होती है, जिसमें पारा गिरता है और घाटी ठंड की चपेट में रहती है.
कश्मीर में 'चिल्लई कलां' की अवधि
'चिल्लई कलां' की अवधि 21 दिसंबर से शुरू हुई थी और यह 31 जनवरी को खत्म होगी. इसके बाद 20 दिनों के चिल्लई खुर्द (कम ठंड) और फिर 10 दिवसीय चिल्लई बच्चा (सामान्य ठंड) की शुरुआत होगी. कश्मीर में 'चिल्लई कलां' की अवधि चल रही है और 40 दिनों की इस अवधि में भीषण ठंड पड़ती है. तापमान गिरने से प्रसिद्ध डल झील समेत घाटी के विभिन्न भागों में जलापूर्ति की पाइपलाइनों में पानी जम जाता है.