पटनाः बिहार की राजधानी पटना में हाइकोर्ट (Hearing in High Court) ने मात्र 200 मिलीलीटर शराब पकड़ जाने के आरोपमें एक नई कार को नीलाम व राजसात कर देने के मामले पर कड़ी नाराजगी जताई. एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने बेगूसराय के डीएम को आदेश दिया कि वह गाड़ी के मालिक को 50 हजार रुपये मुआवजा के साथ उस गाड़ी के इंश्योरेंस मूल्य के बराबर की रकम भी गाड़ी के मालिक को दें.
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बेगूसराय जिले का है मामलाःयाचिकाकर्ता अंजनी झा की रिट याचिका को मंजूर करते हुए ये फैसला सुनाया. ये मामला बेगूसराय के मुफस्सिल थाना अंतर्गत जून, 2021 में जब्त हुए मारुति वैगनआर को शराबबंदी कानून की आढ़ में आनन-फानन में नीलाम करने का है. याचिकाकर्ता जब्त हुए गाड़ी का मालिक था. इस मारुति वैगन आर गाड़ी को पुलिस ने इस आरोप पर पकड़ा था कि उस पर सवार सात व्यक्ति के पास 200 मिलीलीटर विदेशी शराब थी.
कोर्ट ने कार की नीलामी की कार्रवाई को अवैध करार दियाः कोर्ट ने पूरी नीलामी प्रक्रिया को शराबबन्दी कानून के खिलाफ मानते हुए उक्त कार्रवाई को अवैध ठहराया. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया है कि वह इस मामले की जांच करें और जिस भी अफसर की गलती पकड़ी जाए, उसके खिलाफ कार्रवाई करें. इस तरह देखा जाए तो सिर्फ 200 एमएल शराब मिलने पर नई कार को नीलाम कर देना कहीं से भी शराबबंदी कानून का सख्ती से पालन करवाने का उदाहरण नहीं है.
बिहार में जारी है शराब तस्करीः बिहार में जब से शराबबंदी कानून लाया गया है. अवैध रूप से शराब पीने और पिलाने यानी की शराब तस्करी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. बकायदा ट्रकों में भरकर पड़ोसी राज्यों से बिहार में शराब लाए जाते हैं और पुलिस की छापेमारी में हर दिन कहीं न कहीं से भारी मात्रा में शराब की खेप पकड़ी जाती है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जो खेप पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाती है, वह तो आम लोगों के बीच की खपाई जा रही है. ऐसे में शराबबंदी कानून के जरिए सिर्फ 200 मिलीलीटर शराब बाए जाने पर नई कार की नीलामी कर देना कहीं से न्यायोचित नहीं थी. इस पर कोर्ट ने भी अपना फैसला सुनाकर स्पष्ट कर दिया है.