नई दिल्ली :स्वास्थ्य मंत्रालय (health ministry) ने कहा कि देश में सात मई को सामने आए कोरोना के सबसे ज्यादा मामलों के बाद से दैनिक मामलों में लगभग 85 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. देश में 10 मई को दर्ज सर्वाधिक उपचाराधीन मरीजों के मुकाबले कोविड-19 के ऐसे मरीजों की संख्या में करीब 78.6 प्रतिशत की गिरावट आई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश के 513 जिलों में कोविड-19 संक्रमण (covid-19 in 513 districts) दर 5 प्रतिशत से कम है. उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटे में सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 7,98,656 हो गई है.
यहां उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों को बुरी तरह प्रभावित किया है. हालांकि, कड़े रोकथाम उपायों ने देश की समग्र कोविड-19 स्थिति को नियंत्रित करने में मदद की.
उन्होंने कहा कि 7 मई को दैनिक मामले 414,188 दर्ज किए गए थे. उसमें 18 जून तक लगभग 85 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. यह संख्या अब घटकर 62,480 हो गई है. पिछले सप्ताह औसत दैनिक नए मामलों में 30 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.
रिकवरी दर बढ़कर 96 प्रतिशत
पिछले 3 दिनों में सक्रिय मामलों में 1,14,000 की कमी आई है. अब रिकवरी दर बढ़कर 96% हो गई है. पिछले 24 घंटे में देश में 62,480 नए मामले सामने आए हैं. पिछले 11 दिनों से एक लाख से कम मामले रिपोर्ट हो रहे हैं. कोरोना मामलों के पीक में 85% की कमी देखी गई है.
22 करोड़ से ज्यादा ने ली वैक्सीन की पहली डोज
उन्होंने कहा कि 'हम हर रोज़ 18.4 लाख कोरोना टेस्ट कर रहे हैं. 22 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज़ लग गई है और 5 करोड़ से अधिक दूसरी डोज़ लगाई गई है,'
सरकार की ओर से बताया गया कि अध्ययन बताते हैं कि टीकाकरण के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम 75-80 प्रतिशत कम हो जाता है.
नए वेरिएंट से बचने के लिए तैयार रहना चाहिए : नीति आयोग
वहीं नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि कोरोना वेरिएंट आते रहेंगे और बढ़ते रहेंगे. उसे नियंत्रण करने के फॉर्मूले में कोई बदलाव नहीं आएगा. नए वेरिएंट आएं उसके आने से पहले हमें उससे बचने के लिए तैयार रहना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि टीकाकरण से अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 75-80 प्रतिशत कम हो जाती है.
डॉ. पॉल ने कहा, 'अध्ययन बताते हैं कि टीकाकरण वाले व्यक्तियों में अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 75-80 कम है. ऐसे व्यक्तियों को ऑक्सीजन समर्थन की आवश्यकता होने की संभावना लगभग 8 प्रतिशत है और टीकाकरण वाले व्यक्तियों में आईसीयू में प्रवेश का जोखिम केवल 6 प्रतिशत है.
WHO-AIIMS सर्वे का जिक्र करते हुए डॉ. पॉल ने कहा कि 18 साल से कम और 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में सेरोपोसिटिविटी (seropositivity) लगभग बराबर होती है.
उन्होंने कहा, '18 से ऊपर के व्यक्तियों में 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी दर 67 प्रतिशत और 59 प्रतिशत है. शहरी क्षेत्रों में यह 18 से कम उम्र के व्यक्तियों में 78 प्रतिशत और 18 से ऊपर के व्यक्तियों में 79 प्रतिशत है.
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डॉ. पॉल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी दर 56 प्रतिशत और 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों में 63 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, 'जानकारी से पता चलता है कि बच्चे संक्रमित थे लेकिन यह बहुत हल्का था.'
'बच्चों में बीमारी के इक्का-दुक्का मामले ही आ सकते हैं'
तीसरी लहर की संभावनाओं पर डॉ. पॉल ने अध्ययन का जिक्र करते हुए कहा कि बच्चों में संक्रमण के इक्का-दुक्का मामले ही सामने आ सकते हैं. डॉ पॉल ने कहा, 'हालांकि बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता हो सकती है, अगर उन्हें पहले से ही कोई सहवर्ती बीमारी है ...'
स्कूल खोलने के बारे में ये बोले
स्कूल फिर से खोलने के बारे में पूछे जाने पर डॉ. पॉल ने कहा कि एक बार भारत इस महामारी पर नियंत्रण कर लेता है तो ऐसी स्थिति आ सकती है जब हम स्कूल खोल सकते हैं. डॉ. पॉल ने कहा कि 'एक बार जब सभी शिक्षकों का टीकाकरण हो जाएगा तो स्कूल फिर से खोले जा सकते हैं.'
उन्होंने कहा कि बेशक यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है; हमें ध्यान से देखने की जरूरत है क्योंकि कई अन्य देशों में स्कूल फिर से खुल गए लेकिन स्थिति बिगड़ने पर प्रशासन को फिर से बंद करने पड़े.