नई दिल्ली : भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नए ब्राजीलियाई कोरोना स्ट्रेन पर गहरी चिंता जताई है. हालांकि भारत में इस तरह के नए वेरिएंट की कड़ी निगरानी की जा रही है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड के मामलों में हालिया बढ़ोतरी गंभीर चिंता का विषय है.
संयुक्त राज्य अमेरिका के 12 से अधिक राज्यों में P.1 संस्करण के मामलों की पहचान की गई है. ब्राजील और यूनाइटेड किंगडम के शोधकर्ताओं का कहना है कि पी.1 संस्करण 2.2 गुना अधिक खतरनाक हो सकता है. जो कि 61 प्रतिशत कोविड-19 के पुन: संक्रमण का कारण बन सकता है.
डीएनए में परिवर्तन का कारण
एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तमोरिश कोले ने 'ईटीवी भारत' को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि भारत के निगरानी नेटवर्क ने अब तक इस वेरिएंट का पता नहीं लगाया है, लेकिन हमें कोविड के सामूहिक प्रसार को रोकने के लिए उचित व्यवहार को सख्ती से लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वायरस के म्यूटेशन से डीएनए में परिवर्तन होता है जो इसके आकार और व्यवहार के तरीके को बदल सकता है.
अमेरिका में भी मिला यह स्ट्रेन
डॉ. कोले ने बताया कि जब वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित करता है तो इसका मुख्य उद्देश्य प्रतिकृति बनाना और फैलाना होता है. ब्राजील में इस संस्करण (P.1) को पहली बार चार यात्रियों में पहचाना गया था. जिनकी टोक्यो के बाहर हनेडा हवाई अड्डे पर रूटीन स्क्रीनिंग की गई थी.
उन्होंने कहा कि इस संस्करण का पता अमेरिका में जनवरी 2021 के अंत में लगाया गया था. डॉ. कोले ने कहा कि ब्रुकलिन में एक मरीज जिसमें इस संस्करण का परीक्षण किया गया है, उसका कोई यात्रा इतिहास नहीं है और यही चिंता का कारण है.
टीकाकरण है बेहद जरुरी
अमेरिका के विशेषज्ञों के अनुसार P.1 वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन काफी प्रभावी है. डॉ. कोले ने कहा कि इस स्थिति से निपटने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जितना संभव हो उतने लोगों को टीका लगाया जाए.
यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि केंद्र सरकार ने यूके संस्करण की खोज के बाद जनवरी में वायरस के विभिन्न उपभेदों के जीनोम निगरानी के लिए भारतीय सीओवी-2 जीनोम कंसोर्टिया (INSACOG) की स्थापना की है.
अब तक कैसे मामले आए
सीओवी-2 जीनोम कंसोर्टिया को केरल से अधिकतम (5191) के साथ 10 मार्च तक अनुक्रमण के लिए 19,092 आरटी पीसीआर पाजिटिव नमूने प्राप्त हुए हैं. इसके बाद राजस्थान में (2826) मामले मिले हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 4869 नमूनों का अनुक्रमण (सीक्वेंस) 10 मार्च तक पूरा कर लिया गया है. अधिकारियों ने बताया कि भारत में अब तक 795 मामले ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीकी और ब्राजील के पाए गए हैं.
जनसंख्या घनत्व बड़ा कारण
डॉ. सुनीला गर्ग ने दी जानकारी 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की सलाहकार डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा कि भारत को विभिन्न उत्परिवर्तन स्ट्रेन के कई मामले मिले हैं.
ब्राजील का स्ट्रेन भी उनमें से एक है. डॉ. गर्ग ने कहा कि भारत में हमारे पास जनसंख्या का एक बड़ा घनत्व है. हमारे पास कोविड को लेकर उचित व्यवहार नहीं है. जो निश्चित ही व्यक्तिगत रूप से ब्राजील के स्ट्रेन को अधिक संवेदनशील बना सकता है. जैसा कि यह लोगों की बड़ी आबादी को प्रभावित करने वाला हो सकता है.
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यह कहते हुए कि अब भारतीय टीके वेरिएंट के खिलाफ काम कर रहे हैं. डॉ. गर्ग ने कहा कि समय के साथ हम यह नहीं कह सकते हैं कि टीके प्रभावी हैं. इसलिए हमें अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाने की जरूरत है. उन्होंने चेतावनी दी कि यह संस्करण उसे भी संक्रमित कर सकता है जिनका कोई यात्रा इतिहास नहीं है.