नई दिल्ली/लखनऊ/पटना/उज्जैन :देश में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. लोग अपने-अपने घरों से निकलकर एक दूसरे को होली की बधाई देकर रंगों में सराबोर कर रहे हैं. चौराहों और गली नुक्कड़ों पर हुड़दंगियों की टोली हुड़दंग में मस्त हैं. जगह- जगह 'होली है' की गूंज सुनाई दे रही है. कहीं रंग से तो कहीं गुलाल से लोग होली मना रहे है. इस बीच लोग शेरो शायरी और नाच गाने का भी जमकर आनंद ले रहे हैं.
आज हम आपको देश के अलग-अलग हिस्सों से होली से संबंधित मिल रही खबरों के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही होली की शायरी और बेहतरीन फोटो, वीडियो भी शेयर करेंगे.
मथुरा की होली...
कान्हा की नगरी में बड़े हर्षोल्लास से होली खेली जा रही है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में दर्शन करने पहुंच रहे हैं. साथ ही रंग-बिरंगे गुलालों से श्रद्धालुओं के चेहरे भी सतरंगी नजर आ रहे हैं. श्री कृष्ण जन्मस्थान परिसर में श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं. भक्तजन ठाकुर जी के दर्शन करके होली का अद्भुत आनंद उठा रहे हैं. देशभर में लोग होली के रंग में सराबोर होते नजर आ रहे हैं. वहीं, सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं का तांता श्री कृष्ण जन्मस्थान के गेट नंबर 123 पर लगा हुआ हैं. बसंत पंचमी के दिन से शुरू होकर ब्रज में करीब 40 दिनों तक होली महोत्सव का पर्व मनाया जाता है. लोग रसिया गीतों पर ढोल-नगाड़ों की धुन पर थिरकते नजर आ रहे हैं...देखें यह वीडियो...
बिहार में कीचड़ और कुर्ता फाड़ होली...
नालंदा में दो साल बाद कुर्ता फाड़ (Kurta Phad Holi In Nalanda) होली मनाते दिखे युवक.कोरोना काल की वजह से पिछले दो साल से होली का जश्न फिका रह जा रहा था. जिस तरीके से यूपी के मथुरा में लठमार होली काफी प्रसिद्धा है ठीक उसी तरह बिहार में कुर्ता फाड़ होली की भी चर्चा खूब होती है. बिहारशरीफ में युवकों की टोली ने जमकर कुर्ता फाड़ होली का आनंद लिया है..
बिहार में होली पर चैता गीत.....
पूरे देश में होली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. ऐसे में फगुआ में चैता गीत (Bhojpuri Chaita Geet) ना सुने तो फागुन किस काम का. आपको बता दें कि चैती एक खास तरह का लोकगीत है. जिसे चैत के महीने में गाया जाता है. चैती गीत को भोजपुरी में घाटो, मगही में चैता, मैथिली में चैतावर कहा जाता है. लेकिन वर्षों पहले से अब फागुन और चैत गीत गाने की परंपराएं विलुप्त हो चुकी हैं. फागुन आते ही हंसी-ठिठोली, उल्लास और अल्हड़पन का माहौल अब गायब हो गया है. लेकिन लेकिन कुछ कला प्रेमियों ने विलुप्त हो रहे लोक उत्सव और लोक गीतों को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू किया गया है. मुंगेर में कुछ ऐसे फगुआ गाने वाले फनकार (ग्रामीण) है जो अभी भी चौपाल पर ढोलक की ताल और मंजीरे पर झूमते हुए हर्षोल्लास के साथ चैता गीत (Chaita Song In Munger) गाते हैं. चैती गीत के हर पंक्ति में गायक हो रामा या आहो रामा शब्द गाते हैं. इसके अलावा पूर्वांचल में फगुआ गीत भी हर्षोल्लास के साथ गांव में चैती गीत के साथ ग्रामीण गाते हैं. चैत महीने की शुरुआत में "चैता" गाया जाता है. जिसमें भगवान शिव और राधा कृष्ण से संबंधित लोकगीत गाए जाते हैं.
वाराणसी में होली है.......
होली का त्यौहार रंग खुशहाली और गीत-संगीत के साथ मनाया जाता है. इस त्यौहार में हर रंग देश की संस्कृति व परंपरा को बयां करते हैं. खैर, होली के हुड़दंग के बीच अगर लोक कलाकारों की संगीत की महफिल न सजे तो फिर यह त्यौहार थोड़ा फीका लगता है. वहीं, बात अगर काशी की करें तो फिर यह शहर तो संगीत की नगरी है. ऐसे में आइए होली के खास मौके पर पूर्वांचल की लोककला और यूपी की धड़कन कही जाने वाली चैती और कजरी के साथ गीत-संगीत की महफिल का आनंद लें. वहीं, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के डॉ. विजय कपूर के साथ उनके साथी कलाकारों ने ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम में होली के एक से बढ़कर एक गीत गाए.