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पंजाब के भाई-बहन की अनोखी कहानी, बंटवारे के 75 साल बाद दोनों की होगी मुलाकात, जानें कैसे

भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान कई परिवार एक-दूसरे से बिछड़ गए. कुछ भारत में रह गए और कुछ पाकिस्तान में रह गए. ऐसी एक कहानी है लुधियाना पंजाब के लिए रहने वाले गुरमेल सिंह की, जो बंटवारे के दौरान अपनी बहन से बिछड़ गए थे और अब वे अपनी बहन से मिलने पाकिस्तान जा रहे हैं.

पंजाब के भाई-बहन की अनोखी कहानी
पंजाब के भाई-बहन की अनोखी कहानी

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Published : Oct 12, 2022, 10:50 PM IST

Updated : Oct 12, 2022, 10:58 PM IST

लुधियाना: भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दर्द अपने गांव पर सहने वाले गुरमेल सिंह अब पाकिस्तान के गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब जाने की तैयारी कर रहे हैं. भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान उनकी छोटी बहन सकीना अपनी मां के साथ पाकिस्तान चली गई, जिसके बाद लुधियाना के जस्सोवाल गांव में रहने वाले गुरमेल सिंह को पाकिस्तान के एक पत्रकार की मदद से उसकी बहन से मिलवाया जा रहा है, जो विभाजन के समय अलग हो गए थे.

गुरमेल सिंह का पासपोर्ट 25 अक्टूबर को बनना है और उसके बाद वह पाकिस्तान जाएंगे. गुरमेल सिंह अपनी बहन से मिलने के लिए बहुत उत्साहित हैं. इतनी उम्र होने के बावजूद जब भी बहन को याद करते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं.

वीडियो कॉल पर बातचीत: गुरमेल सिंह ने पाकिस्तान में रहने वाली अपनी बहन सकीना से वीडियो कॉल पर बातचीत की. इस बीच दोनों भाई-बहनों ने करीब 10 मिनट तक बात की और दोनों ने एक-दूसरे से मिलने की इच्छा जताई. जिसके बाद भारत और पाकिस्तान दोनों सरहद के पास गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब में मिलने का तय किया गया, जिसके लिए तैयारी शुरू हो चुकी है.

पंजाब के भाई-बहन की अनोखी कहानी

अलग होने की कहानी: दरअसल, जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो सकीना अपनी मां के साथ पाकिस्तान चली गई, जबकि उसका बड़ा भाई गुरमेल लुधियाना के जस्सोवाल गांव में अपने पिता के साथ रह रहा था. गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि सकीना जब 2 साल की थी तब उनका परिवार उन्हें अपनी बेटी के साथ पाकिस्तान से ले गया था. उस समय गुरमेल सिंह की उम्र महज 4 साल थी. गुरमेल सिंह का कहना है कि उन्हें उस समय की कोई याद नहीं है. लेकिन अपनी बहन के लिए प्यार पूरा है. बहन की बात करते ही उनकी आंखें नम हो जाती हैं.

बहन के लिए गिफ्ट लेंगे: गुरमेल सिंह ने कहा कि वह अपनी बहन के लिए तोहफे लेंगे. उन्होंने कहा कि संस्कारों के अनुसार उनकी बहन को सदर में बिस्किट भेजा जाता है, लेकिन अब वह बिस्किट लेकर नहीं जा सकते, लेकिन 5-7 किलो लड्डू जरूर लेंगे और अपने भतीजों को शगुन भी देंगे. साफ है कि कुछ महीने पहले गुरमेल सिंह को पता चला कि उनकी बहन पाकिस्तान में रहती है, जो उससे मिलने के लिए तरस रही है. दोनों भाइयों और बहनों का प्यार एक-दूसरे को खींचता है, भले ही हमारे समय की सरकारों ने निश्चित रूप से एक सीमा खींच दी हो.

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25 को बनेगा पासपोर्ट: गुरमेल सिंह ने बताया कि उन्हें पासपोर्ट बनवाने के लिए 25 अक्टूबर को फोटो खिंचवाने के लिए आमंत्रित किया गया है. उन्होंने कहा कि पासपोर्ट मिलने के बाद ही उनकी बहन से मुलाकात का समय तय होगा. उन्होंने कहा कि बैठक गुरुद्वारा करतारपुर साहिब और बाकी प्रक्रिया में होगी. वहां जाकर वह पूरी हो जाएगी और उसे अपनी बहन से कब तक मिलना है, यह भी प्रशासन तय करेगा. गुरमेल सिंह ने कहा कि मुझसे बात करते हुए उनकी बहन की भी आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने दोनों भाई-बहनों को साथ लाने वाले पत्रकार का भी शुक्रिया अदा किया है.

ग्रामीणों का सहयोग: गुरमेल सिंह को उसकी बहन से मिलाने में गांव वाले भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. कल जब गुरमेल की बहन ने पाकिस्तान से वीडियो कॉल की तो गांव के ही एक युवक ने उनके बीच फोन पर बातचीत शुरू कर दी. ग्रामीणों ने कहा कि एक बार जब वे सकीना से मिलेंगे तो वे फिर से लुधियाना में अपने गांव आने के लिए सकीना को आमंत्रित करेंगे. इसके लिए सब कुछ किया जाएगा. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि हम गुरमेल की हर संभव मदद करेंगे. जो भी जरूरी होगा हम मुहैया कराएंगे.

Last Updated : Oct 12, 2022, 10:58 PM IST

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