गांधीनगर:गुजरात के बनासकांठा (Banaskantha) जिले के किसान अपने खेतों में नीम के पेड़ लगाकर खूब आमदनी कर रहे हैं. बनासकांठा वर्षों से कृषि से जुड़ा हुआ इलाका है. जिले के किसान सफल खेती को लेकर देश विदेश में नाम कमा रहे हैं, लेकिन जिले के कई सीमांत इलाकों के किसान आज भी पानी की कमी के कारण खेती नहीं कर पा रहे हैं. खेती के लिए पानी का समस्या के बीच जिले के इन इलाकों में नीम की खेती को बढ़ावा मिल रहा है. लिहाजा, बनासकांठा, भाभर मार्केटयार्ड में नीम फल (Neem fruit) का एक बड़ा उद्योग विकसित हो रहा है. यहां नीम का उत्पादन काफी अधिक है.
- भाभर मार्केटिंग यार्ड दे रहा महिलाओं को रोजगार
भाभर मार्केटिंग यार्ड (Bhabhar Marketing Yard) जिले के सीमांत इलाकों की हजारों महिलाओं को रोजगार दे रहा है, यहां महिलाएं नीम के फलों को जमा कर एक अच्छी आमदनी कर रही हैं. लिहाजा वर्तमान में यह नीम के फलों से भरा हुआ है. वर्तमान में भाभर मार्केटिंग यार्ड में नीम के फलों का बिक्री बढ़ रही है और किसानों के खेतों में लगे नीम के पेड़ उन्हें एक अच्छी आय भी दे रहे हैं.
- क्या है किसानों के सामने चुनौतियां
बनासकांठा के सीमांत इलाके पिछले 3 वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं. जिसके कारण इलाके के किसान खेती छोड़कर पशुपालन की ओर रुख कर रहे हैं. इन इलाकों के किसान हर साल महंगे बीच लाकर खेती करते हैं, पानी के लिए उन्हें भारी लागत चुकानी पड़ती है, लेकिन किसानों को उनकी फसलों के अच्छे दाम न मिलने के कारण उन्हें हमेशा नुकसान उठाना पड़ता है. यहां तक कि कई बार उन्हें इसके लिए सरकार का खिलाफ आंदोलन करने के लिए भी मजबूर होना पड़ता है.
नीम के फल निकालती बच्चियां - रोज हो रहा लाखों का कारोबार
खेती को लेकर सामने आई तमाम समस्याओं के बीच इलाके की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा भाभर मार्केटिंग यार्ड के कर्मचारियों ने बताया कि बनासकांठा के किसान खेती के साथ-साथ सीमांत इलाकों में नीम के फल से अच्छी कमाई कर रहे हैं. यहां नीम फल का एक बड़ा उद्योग विकसित हो रहा है. यहां रोजाना लाखों का नीम फल का कारोबार होता है. पिछले 10 वर्षों में नीम के फलों की मांग में भारी बढ़ोतरी देखी गई है.
बैगन की खेती में कम लागत लगाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे किसान
- बनासकांठा में पानी की समस्या
बनासकांठा में भूजल स्थर दिन पर दिन घटता जा रहा है. अब यहां 100 फीट पर भी पानी नहीं मिल रहा है. लिहाजा इसका सबसे बड़ा असर खेती पर पड़ा है. पानी की कमी के कारण जिले में खेती करना महंगा हो गया है और किसानों की आय घटती जा रहा है. पानी की इस समस्या के कारण ही जिले के किसानों ने नीम की खेती की ओर रुख किया और वह उन्हें एक अच्छी आय दे रहे हैं. बनासकांठा जिले के भाभर (Bhabhar), सुइगाम (Suigam) और वाव तालुका (Vav talukas) की हजारों महिलाएं खेती के काम से जुड़ी हैं. यह महिलाएं खेती, पशुपालन के साथ नीम के फलों को जमा कर पैसे कमा रही हैं.
- 3000 रुपए प्रति क्विंटल मिलता है किसानों को नीम के फलों के दाम
नीम की खेती से अपनी आमदनी बढ़ाने वाले जिले की किसान नायबेन वधानिया कहती है, "पहले हम बाजरा और अन्य फसलों की खेती किया करते थे, लेकिन इससे हमारी आमदनी बहुत कम थी और प्राकृतिक आपदाओं के कारण पिछले 3 वर्षों से हमारी इनकम स्थिर थी. जब हमें इन नीम के फलों के बारे में पता चला और हमने नीम के पेड़ लगाने शुरु कर दिए इसके कारण अब हमारी कमाई ठीक ठाक हो रही है." उन्होंने कहा, "हमारे खेत में नीम के 50 से 60 पेड़ हैं, हम नीम के फल इकट्ठा करते हैं और उन्हें भाभर मार्केट यार्ड में 3000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचते हैं." इलाके की महिलाएं अब नीम के फलों को बेचकर सीजनभर में 20 से 25 हजार रुपए तक कमा लेती हैं. जिले केएक अन्य किसान कंवरजी वधानिया ने कहा कि यह कमाई पहले की तुलना में ज्यादा है.