बेंगलुरु : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एक नवीनतम ग्रीनपीस इंडिया विश्लेषण के आंकड़ों से पता चला है कि तीन प्रमुख दक्षिणी शहरों बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई में इस नवंबर में हवा की गुणवत्ता नवंबर 2019 की तुलना में बेहतर थी. PM2.5 कणों का उत्सर्जन 16 से 37 प्रतिशत हो गया. हालांकि, सभी तीन शहरों में हवा की गुणवत्ता अभी भी निर्धारित डब्ल्यूएचओ मानकों (25μg / m3) से अधिक है.
बता दें कि PM यानी पार्टिकुलेट मेटर जो कि वायु में मौजूद छोटे कण होते हैं किस प्रकार से स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं.
बेंगलुरु में PM2.5 की सांद्रता (ऐवरेज कॉन्सनट्रेशन) इस नवंबर में औसतन 33.49μg / m3 थी, जबकि नवंबर 2019 में यह 40.33μg/m3 था, जिसका अर्थ है कि PM2.5 की औसत सांद्रता 16.96 प्रतिशत कम हो गई. बापूजी नगर और जयनगर PM2.5 की सांद्रता के साथ हॉटस्पॉट बने रहे. दोनों जगह PM2.5 की सांद्रता क्रमश: 42μg/m3 और 39μg/m3 थी.
विश्लेषण के अनुसार, नवंबर 2020 में बेंगलुरु में केवल 12 ऐसे दिन देखे गए, जहां PM2.5 की सांद्रता डब्ल्यूएचओ मानकों के तहत रही. शहर में बीटीएम लेआउट सबसे कम प्रदूषित क्षेत्र रहा. यहां PM2.5 की सांद्रता औसतन 20μg / m3 रही.
इसी तरह, हैदराबाद में, PM2.5 की औसत सांद्रता 17.88% कम हुई. PM2.5 की औसत सांद्रता इस नवंबर में 56.32μg / m3 थी, जबकि पिछले महीने इसी अवधि के दौरान 68.58μg/m3 थी. सनाथनगर और चिड़ियाघर पार्क में वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों ने PM2.5 का उच्चतम औसत 62μg / m3 दर्ज की गई. पूरे महीने में, हैदराबाद में केवल एक ही दिन ऐसा देखा गया, जहां शहर की वायु गुणवत्ता निर्धारित डब्ल्यूएचओ मानकों से मेल खाती हो.