चमोली/देहरादून :16 जून 2013 को उत्तराखंड के केदारनाथ में हुआ जल प्रलय आज भी लोगों के जहन में ताजा है. इस जल प्रलय ने हजारों जिंदगियां लील ली थीं. केदारनाथ और प्रदेश के सभी पहाड़ी जिलों रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ की लाखों की आबादी आपदा की जद में आ गई थी. सड़कें, पुल और संपर्क मार्ग ध्वस्त हो गए थे. वहीं एक बार फिरजोशीमठ के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से 2013 आपदा के जख्म हरे हो गए हैं. जोशीमठ के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा नदी पर बना बांध टूट गया है. बांध टूटने से नदी में मलबा के आने से जलस्तर बढ़ गया है, जिसकी वजह से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.
दरअसल, ग्लेशियर टूटने की खबर की पुष्टि जोशीमठ हेड कॉन्स्टेबल मंगल सिंह ने की है. मंगल सिंह ने बताया कि उन्हें सुबह 10:55 बजे सूचना मिली कि जोशीमठ की रैणी गांव में ग्लेशियर टूटा है. मौके पर आपदा प्रबंधन टीम रवाना हो गई है. नदी किनारे बने घरों को खाली कराने के निर्देश दिए गए. वहीं, ग्लेशियर टूटने की घटना पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिव आपदा प्रबंधन और डीएम चमोली से पूरी जानकारी ली. मुख्यमंत्री लगातार पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. संबंधित सभी जिलों में अलर्ट कर दिया गया है. चमोली जिला प्रशासन, एसडीआरएफ के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंच गए हैं. लोगों से अपील की जा रही है कि गंगा नदी के किनारे न जाएं. वहीं, मदन कौशिक ने कहा कि सारे विभाग हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर में लोगों से गंगा किनारे वाले इलाकों को खाली करवाया गया है.
2013 में जल प्रलय ने मचाई थी भारी तबाही