नई दिल्ली/गाजियाबादःकवि नगर इलाके में अवैध पटाखा फैक्ट्री चल रही थी. जहां पर भारी मात्रा में पटाखे में इस्तेमाल होने वाला विस्फोटक पदार्थ एकत्रित किया गया था. पुलिस ने छापेमारी की तो करीब तीन करोड़ रुपये के अवैध पटाखे और उन्हें बनाने का सामान बरामद किया गया है.
मौके से भारी मात्रा में एथेनॉल और काला प्लास्टिक भी बरामद किया गया है. इसके अलावा कुछ ड्रमों में नाइट्रिक एसिड भी भरा हुआ था, जो काफी खतरनाक होता है. पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इस फैक्ट्री के संचालन का मकसद सिर्फ अवैध पटाखे बनाने का था या फिर कुछ और था.
छह आरोपी पकड़े, तीन फरार
मामले में छह आरोपी पकड़े गए हैं, जबकि तीन मौके से फरार हो गए. पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि लैब में विस्फोटक बनाने का कार्य रवि, संदीप व आकाश द्वारा किया जाता है. जिससे नाइट्रिक एसिड (HNo3) में चांदी को मिलाकर, सिल्वर नाइट्रेट (AGNo3) बनाया जाता है. फिर सिल्वर नाइट्रेट को एथेनॉल मिलाकर सिल्वर फल्मीनेट बनाते हैं, जो विस्फोटक पदार्थ होता है. उस विस्फोटक को पत्थर की बजरी में मिलाकर पटाखे तैयार किये जाते हैं.
पुलिस के मुताबिक मैन्यूफेक्चरिंग करने वाले राजेश, विष्णु और अरविंद ने बताया कि विस्फोटक युक्त बजरी को मशीनों में भरकर पटाखे तैयार किये जाते हैं. तैयार पटाखों को पैंकिंग कर उनका भंडारण किया जाता है, जो अलग-अलग क्षेत्रों के मांग के अनुसार बिक्री के लिए सप्लाई कर दिया जाता है.
भारी मात्रा में पटाखे बरामद किए गए फैक्ट्री के मालिक मनीष जैन हैं जो दिल्ली निवासी है. पुलिस ने लैब टैक्नीशियन से इनके डिग्री / लाइसेंस दिखाने को कहा, तो इनके पास नहीं मिला. ये लोग बिना लाइसेंस के इस खतरनाक कार्य को अंजाम दे रहे थे. इन खतरनाक कैमिकल के मिश्रण में थोड़ी भी चूक होने पर अत्यन्त खतरनाक विस्फोट हो सकता है, जिससे बहुत बड़ी जनहानि हो सकती थी.
बवाना नें 17 लोगों की गई थी जान
इन लोगों द्वारा वर्ष 2018 में बवाना दिल्ली में इसी तरह की अवैध पटाखों की फैक्ट्री संचालित की जा रही थी, जिसमें लापरवाहीपूर्ण कार्य के कारण विस्फोट हुआ और 17 निर्दोष लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था. इन लोगो के तार उस फैक्ट्री से भी जुड़े हुए थे. जो केमिकल मौके से ड्रमों में बरामद हुआ है, वह केमिकल आसानी से नहीं मिलता है. इसके बावजूद इनके पास भारी मात्रा में कई केमिकल पाए गए हैं, जिनको लैब में जांच के लिए भेजा गया है. यह भी पता लगाया जा रहा है, इतनी भारी मात्रा में केमिकल आसानी से कैसे हासिल हो जाता था. जाहिर है इस मामले में कई अन्य खुलासे अभी हो सकते हैं.
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