नई दिल्ली: भारत में जर्मनी के राजदूत डॉक्टर फिलिप एकरमैन ने बुधवार को कहा कि हम यूक्रेन को उसके क्षेत्र की रक्षा में मदद करना जारी रखेंगे. उनकी टिप्पणी 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की पहली वर्षगांठ से कुछ दिन पहले आई है. वास्तव में जर्मन चांसलर ओलोफ शोल्ज़ शनिवार को द्विपक्षीय यात्रा के लिए भारत आने वाले हैं. उनके मौजूदा कार्यकाल में यह उनका पहला भारत दौरा है. वह नई दिल्ली और बेंगलुरु जाएंगे.
चांसलर की यात्रा से पहले राजधानी में बुधवार को यहां मीडिया को संबोधित करते हुए जर्मन दूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि हम यूक्रेन को उसके क्षेत्र की रक्षा करने में मदद करना जारी रखेंगे. रूसी पक्ष पश्चिम की एकता और रणनीतिक धैर्य से हैरान है. अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना महत्वपूर्ण है. क्रीमिया पर भी हमारा रुख स्पष्ट है. यह यूक्रेन का अभिन्न अंग है. उन्होंने बताया कि जर्मन चांसलर और पीएम मोदी के बीच चर्चा के दौरान रूस और यूक्रेन एजेंडे में शीर्ष पर रहेंगे.
हिंद-प्रशांत के अलावा चीन की बढ़ती दबंगई भी चर्चा का हिस्सा होगी. जर्मन चांसलर की यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग, व्यापार, जलवायु परिवर्तन और कुशल श्रम प्रवास पर भी ध्यान दिया जाएगा. यह पूछे जाने पर कि क्या संघर्ष समाप्त करने के लिए जर्मनी रूस से संपर्क कर रहा है, जर्मन राजदूत ने कहा कि जर्मन चांसलर पुतिन के साथ अक्सर टेलीफोन पर होती हैं. क्रेमलिन और कुछ यूरोपीय राजधानियों के बीच निर्बाध संचार है.
उन्होंने कहा कि हमें ईमानदार होना होगा, इस संचार से कुछ हासिल नहीं हुआ है, लेकिन हमारा मानना है कि यूक्रेन संकट को कूटनीतिक रूप से हल किया जाना चाहिए. इसके अलावा, कल रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से पहले समर्थन के लिए यूरोपीय संघ के भारत पहुंचने के सवाल पर, राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने कहा कि हमें अच्छा लगता अगर भारत इन प्रस्तावों पर मतदान करता जैसा कि हमने किया लेकिन वोट देना या मतदान से दूर रहना किसी भी देश का संप्रभु निर्णय है.