नई दिल्ली :अमेरिका और भारत दोनों ही लोकतांत्रिक देश हैं और हमारे मूल्य और रहन-सहन में भी काफी समानताएं हैं. अमेरिका हमेशा से वोटिंग को तरजीह देता है और लोकतंत्र को आगे बढ़ाने की हिमाकत करता है. उक्त बातें अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मार्गरेट मैकलियोड (US State Departments Spokesperson Margaret MacLeod) ने पिछले दस साल में भारत और अमेरिका की दोस्ती के विश्व पटल पर चर्चा का विषय बने रहने के सवाल के जवाब में कहीं.
फर्राटेदार हिंदी बोलने वाली मैकलियोड ने इस सवाल पर कि वो इतनी अच्छी हिंदी कैसे बोल लेती हैं, कहा कि उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनामिक्स की जब तैयारी कर रहीं थी तभी उन्होंने हिंदी सीखी. उन्होंने बताया कि उस दौरान वह हिंदी के कैसेट्स भी सुनती थीं. इसके अलावा विदेश मंत्रालय में अलग-अलग जगहों पर रहने की वजह से उन्होंने हिंदी की काफी प्रैक्टिस की और अब वो हिंदी की अच्छी वक्ता हो चुकी हैं.
इस सवाल पर की जिस गर्मजोशी के साथ भारत के प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मुलाकात की वो दुनिया को संदेश दे रही थी. अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि मेरा ख्याल में ये एक इशारा है, ये एक सिंबल है हमारे बीच रिश्ते का. उन्होंने कहा कि जो नेता लोकतंत्र और मतदान करते हैं उनके साथ हमारा देश हमेशा से सहयोग करता है और हम हमेशा उनके साथ हैं. इस सवाल पर कि कल भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई इसमें क्या-क्या बातें निकलकर सामने आईं, क्या रक्षा सौदों पर भी बात हुई. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मैकलियोड ने कहा कि कल की वार्ता बहुत ही अच्छी रही और दोनों देशों की तरफ से ज्वाइंट स्टेटमेंट भी जारी किया गया. इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण के क्षेत्र में, डिजिटल क्षेत्र में और रक्षा क्षेत्र में भी सहयोग पर दोनों देशों के बीच आपसी सहमति बनी है. इन क्षेत्रों में दोनों ही देश एक-दूसरे का सहयोग करेंगे और मजबूती से आगे बढ़ेंगे.
इस सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति और रूस के प्रधानमंत्री का शामिल नहीं होना क्या एक अलग रणनीति का इशारा करती है. इस पर मार्गरेट मैकलियोड ने कहा कि हर देश अपने आप से फैसला कर सकते हैं कि कौन प्रतिनिधि किस सम्मेलन में भाग लेगा, मगर मैं इतना जरूर कहूंगी कि जी20 दुनिया में शामिल देशों का 85 प्रतिशत से ज्यादा देश इसमें शामिल हैं. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि 2026 में अमेरिका इसकी मेजबानी करना चाहता हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि ज्ञान के क्षेत्र, शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच काफी सहयोग है और ये और बढ़ेगा.
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