दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

फोन पर डॉक्टर, वीडियो गेम, सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूरों के लिए किये गये पुख्ता इंतजाम

सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूरों के लिए पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. मजदूरों की मदद के लिए टनल के बाहर चौबीस घंटे डॉक्टर्स तैनात हैं. ये डॉक्टर्स फोन के जरिये दिन में दो बार मजदूरों की काउंसलिंग कर रहे हैं. इसके अलावा टनल में फंसे मजदूरों के मनोरंजन के लिए बाहर से फोन भेजे गये हैं. इसके अलावा मजदूरों को डाइट प्लान के हिसाब से सुबह शाम खान दिया जा रहा है. मजदूरों की परिजनों से भी बात कराई जा रही है.

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation
Etv Bharat

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 27, 2023, 9:52 PM IST

देहरादून(उत्तराखंड):उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में पिछले 16 दिनों से 7 राज्यों को मजदूर फंसे हुए हैं. टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जोरों पर हैं. मजदूरों को सकुशल टनल से बाहर निकालने के लिए वर्टिकल के साथ ही होरिजेंटल ड्रिलिंग की जा रही है. रेस्क्यू ऑपरेशन में राज्य के साथ ही केंद्र सरकार की कई एजेंसियां जुटी हुई हैं. सेना को भी रेस्क्यू के काम में लगाया गया है. टनल में फंसे जिन 41 मजदूरों को निकालने के लिए बाहर इतनी कोशिशें हो रही हैं, उनके लिए खाने पीने, मनोरंजन के साथ ही मनोरंजन के भी इंतजामात किये गये हैं. इसके अलावा डॉक्टर्स की टीम भी लगातार टनल में फंसे मजदूरों की काउंसिलिग कर रही है. इसके साथ ही मजदूरों के परिजनों की बात भी उनसे कराई जा रही है. डॉक्टर्स दिन में दो बार मजदूरों के स्वास्थ्य की जानकारी ले रहे हैं.

सिल्कयारा टनल में फंसे हैं 41 मजदूर

बता दें 12 नवंबर की सुबह उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंस गये थे. इसी दिन से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो गया था. इसके अगले दिन मजदूरों तक खाना पहुंचाने के लिए टनल के मलबे में एक पाइप डाला गया. जिससे एयर प्रेशर के जरिये मजदूरों तक खान पहुंचाया गया. इसी के जरिये पहले 10 दिन टनल के अंदर ऑक्सीजन सप्लाई हुई.

पढे़ं-उत्तरकाशी टनल हादसा: 41 मजदूरों को खुली हवा में सांस लेने का इंतजार, जानिये कहां तक पहुंचा रेस्क्यू ऑपरेशन

पाइप के जरिये मजदूरों तक पहुंचाई जरुरी चीजें:उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे के 12 वें दिन बड़ी सफलता मिली. 12वें दिन मजदूरों को भोजन देने के लिए 6 इंच का पाइप डाला गया. जिसके जरिये मजदूरों तक और अधिर भोजन, फोन, जरूरी चीजें पहुंचाई गई. 21 नवंबर को सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों का पहला वीडियो सामने आया. जिससे परिजनों ने राहत की सांस ली.

ग्राफिक्स से समझिये कहां फंसे हैं मजदूर

दिन में डॉक्टर्स दो बार करते हैं काउंसलिंग: पिछले 15 दिनों से सिक्यारा टनल में फंसे सबा अहमद की परिवार के सदस्यों से बात हुई. सबा के परिजनों ने बताया टनल में एक माइक भेजा गया है. उनके भाई नैय्यर अहमद ने बताया ड्रिलिंग में बाधाओं के कारण बचाव अभियान में देरी हो रही है. इसलिए सबा अहमद को प्रेरित रखने के लिए डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों ने उसकी काउंसलिंग की. घटनास्थ पर तैनात तैनात डॉक्टरों की एक टीम दिन में दो बार फंसे हुए श्रमिकों से बात करती है.- सुबह 9 बजे से 11 बजे तक और शाम 5 बजे से 8 बजे तक डॉक्टर मजदूरों से बात कर उनकी काउंसलिंग करते हैं.

पढे़ं-उत्तराखंड में अगले 10 सालों में 66 टनल प्रस्तावित, उत्तरकाशी हादसे के बाद उठने लगे सवाल, स्टडीज पर जोर दे रहे साइंटिस्ट

इसके अलावा, फंसे हुए श्रमिकों के परिवार के सदस्यों को उनसे किसी भी समय बात करने की अनुमति है. प्रशासन ने टनल के बाहर श्रमिकों के परिजनों के लिए कैंप लगाया है. कैंप के पास निर्माण कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए एक कमरों में मजदूरों के परिजन रह रहे हैं. नैय्यर ने कहा वह अपने भाई से दिन में दो बार बात करते हैं. वह सुनिश्चित करते हैं कि सबा की पत्नी और तीन बच्चे, जो बिहार के भोजपुर में हैं, उनसे बात करें.

पढे़ं-रेस्क्यू कार्य का जायजा लेने पहुंचे PM मोदी के प्रधान सचिव, केंद्रीय गृह सचिव और CS संधू, केंद्रीय मंत्री VK सिंह ने मंदिर में की पूजा

मनोचिकित्सकों की टीम चौबीस घंटे साइट पर तैनात:नैय्यर ने बताया पांच डॉक्टरों की एक टीम, दो मनोचिकित्सकों समेत कई लोग बचाव स्थल पर चौबीसों घंटे तैनात हैं. साइट पर मेडिकल टीम के नोडल अधिकारी डॉ. बिमलेश जोशी ने कहा बचाव अभियान जारी रहने तक उत्तरकाशी में कम से कम 10 और डॉक्टर स्टैंडबाय पर रहेंगे.

सिल्कयारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन

पढे़ं-उत्तरकाशी टनल हादसा: 41 मजदूरों को खुली हवा में सांस लेने का इंतजार, जानिये कहां तक पहुंचा रेस्क्यू ऑपरेशन

मजदूरों को डाइट प्लान के हिसाब से दिया जा रहा खाना:उन्होंने कहा, मनोचिकित्सक और डॉक्टर लगातार परिवार के सदस्यों के संपर्क में हैं. जरूरत पड़ने पर उनकी काउंसलिंग करते रहते हैं. मेडिकल टीम के एक अन्य वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. प्रेम पोखरियाल ने कहा, फंसे हुए श्रमिकों की नियमित जांच की जा रही है. शुरुआत में, हमने उन्हें जूस और एनर्जी ड्रिंक दिया. अब उन्हें उचित भोजन मिल रहा है. सुबह मजदूरों को उबले अंडे, दूध भेजते हैं. चाय और दलिया भी उन्हें भेजा जा रहा है. दोपहर के भोजन और रात के खाने के लिए, उन्हें दाल, चावल, चपाती और सब्जी दी जा रही है. उन्हें डिस्पोजेबल प्लेटें दी गई हैं.

मिशन 41

पढे़ं-उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन: 36 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग पूरी, रैट माइनिंग से होगी हॉरिजॉन्टल मैन्युअल ड्रिलिंग, जानें प्रोसेस

टनल में चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति: उन्होंने बताया जहां मजदूर फंसे हैं वह इलाका करीब दो किलोमीटर का है. वहां का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच है. उन्होंने कहा, अभी उन्हें ऊनी कपड़ों की जरूरत नहीं है. उनके पास चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति है.

इनपुट-पीटीआई

ABOUT THE AUTHOR

...view details