देहरादून(उत्तराखंड):उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में पिछले 16 दिनों से 7 राज्यों को मजदूर फंसे हुए हैं. टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जोरों पर हैं. मजदूरों को सकुशल टनल से बाहर निकालने के लिए वर्टिकल के साथ ही होरिजेंटल ड्रिलिंग की जा रही है. रेस्क्यू ऑपरेशन में राज्य के साथ ही केंद्र सरकार की कई एजेंसियां जुटी हुई हैं. सेना को भी रेस्क्यू के काम में लगाया गया है. टनल में फंसे जिन 41 मजदूरों को निकालने के लिए बाहर इतनी कोशिशें हो रही हैं, उनके लिए खाने पीने, मनोरंजन के साथ ही मनोरंजन के भी इंतजामात किये गये हैं. इसके अलावा डॉक्टर्स की टीम भी लगातार टनल में फंसे मजदूरों की काउंसिलिग कर रही है. इसके साथ ही मजदूरों के परिजनों की बात भी उनसे कराई जा रही है. डॉक्टर्स दिन में दो बार मजदूरों के स्वास्थ्य की जानकारी ले रहे हैं.
बता दें 12 नवंबर की सुबह उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंस गये थे. इसी दिन से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो गया था. इसके अगले दिन मजदूरों तक खाना पहुंचाने के लिए टनल के मलबे में एक पाइप डाला गया. जिससे एयर प्रेशर के जरिये मजदूरों तक खान पहुंचाया गया. इसी के जरिये पहले 10 दिन टनल के अंदर ऑक्सीजन सप्लाई हुई.
पाइप के जरिये मजदूरों तक पहुंचाई जरुरी चीजें:उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे के 12 वें दिन बड़ी सफलता मिली. 12वें दिन मजदूरों को भोजन देने के लिए 6 इंच का पाइप डाला गया. जिसके जरिये मजदूरों तक और अधिर भोजन, फोन, जरूरी चीजें पहुंचाई गई. 21 नवंबर को सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों का पहला वीडियो सामने आया. जिससे परिजनों ने राहत की सांस ली.
दिन में डॉक्टर्स दो बार करते हैं काउंसलिंग: पिछले 15 दिनों से सिक्यारा टनल में फंसे सबा अहमद की परिवार के सदस्यों से बात हुई. सबा के परिजनों ने बताया टनल में एक माइक भेजा गया है. उनके भाई नैय्यर अहमद ने बताया ड्रिलिंग में बाधाओं के कारण बचाव अभियान में देरी हो रही है. इसलिए सबा अहमद को प्रेरित रखने के लिए डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों ने उसकी काउंसलिंग की. घटनास्थ पर तैनात तैनात डॉक्टरों की एक टीम दिन में दो बार फंसे हुए श्रमिकों से बात करती है.- सुबह 9 बजे से 11 बजे तक और शाम 5 बजे से 8 बजे तक डॉक्टर मजदूरों से बात कर उनकी काउंसलिंग करते हैं.
इसके अलावा, फंसे हुए श्रमिकों के परिवार के सदस्यों को उनसे किसी भी समय बात करने की अनुमति है. प्रशासन ने टनल के बाहर श्रमिकों के परिजनों के लिए कैंप लगाया है. कैंप के पास निर्माण कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए एक कमरों में मजदूरों के परिजन रह रहे हैं. नैय्यर ने कहा वह अपने भाई से दिन में दो बार बात करते हैं. वह सुनिश्चित करते हैं कि सबा की पत्नी और तीन बच्चे, जो बिहार के भोजपुर में हैं, उनसे बात करें.