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आवश्यक सेवाओं को सुनिश्चित करने के साथ अस्पतालों की फायर सेफ्टी भी अहम

कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं ने भारत में आवश्यक सेवाओं को सुनिश्चित करने के साथ-साथ अस्पताल की फायर सेफ्टी को भी उजागर किया है. पिछले कुछ सालों में भारत ने अस्पतालों के कई भायवह हादसे देखे हैं. इन सभी मामलों में एक बात आम था कि यह सभी फायर सेफ्टी नियमों को उल्लंघन कर रहे थे.

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Published : Apr 23, 2021, 5:14 PM IST

फायर सेफ्टी
फायर सेफ्टी

हैदराबाद : देशभर में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है. कोरोना संक्रमण ने भारत की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल के रख दी है. हालांकि अस्पताल के लिए आवश्यक सेवाओं को सुनिश्चित करने की कोशिश जारी हैस लेकिन इसके साथ ही अस्पताल की फायर सेफ्टी भी काफी अहम है.

अस्पताल की फायर सेफ्टी के लिए एक उपयोगिता प्रबंधन योजना और प्रोटोकॉल को अपनाने, स्पष्ट रखरखाव योग्य तंत्र के साथ, उचित रखरखाव सुनिश्चित करना होगा.

इसके अलावा दिनचर्या / सामान्य और आपातकालीन घरेलू और उपचारित जल प्रणालियों, बिजली प्रणालियों, चिकित्सा गैस और वैक्यूम सिस्टम, प्राकृतिक गैस प्रणालियों, हीटिंग, की 24x7 उपलब्धता वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम, लिफ्ट / लिफ्ट, आग / जीवन सुरक्षा प्रणाली की जरूरत है.

अस्पतालों में दो तरह से फायर सेफ्टी दी जा सकती है.

अस्पताल में कॉम्पेरिटव सुरक्षा काफी महत्वपूर्ण है. यह अस्पताल परिसर के भीतर गर्मी और धुएं से सुरक्षा है, जहां परिसर के बाहर रहने वालों को हटाना संभव नहीं है.

वहीं, अल्टीमेट सेफ्टी यह प्रभावित क्षेत्र से अस्पताल की इमारत के बाहर एक असेंबली पॉइंट पर रहने वालों का पूर्ण निष्कासन है.

फायर सेफ्टी के संरचनात्मक तत्व

अस्पताल में खुली जगह, तहखाने, आंतरिक सीढ़ी,संरक्षित सीढ़ी, बाहरी सीढ़ी, क्षैतिज निकास, दरवाजे से बाहर निकलना, गलियारे और मार्ग, कम्पार्टमेंट,रैंप, आग रोकना वह तत्व हैं, जो अस्पताल को संरचनात्मक रूप से सुरक्षित बनाते हैं.

फायर सेफ्टी के गैर संरचनात्मक तत्व

इसमें अग्निशमन के लिए भूमिगत स्थैतिक पानी की टंकी, आग पंप कक्ष, यार्ड हाइड्रेंट, वेट राइजिंग मेन्स, होज बॉक्स, स्वचालित छिड़काव सिस्टम, इमरजेंसी लाईट आदि शामिल हैं.

अस्पताल के कर्मचारियों के लिए फायर सेफ्टी के निर्देश

इन सबके अलावा अस्पताल के सभी स्टाफ सदस्यों को MOEFA पुश बटन फायर अलार्म बॉक्स का स्थान पता होना चाहिए. उन्हें ऑपरेटिंग निर्देश पढ़ना चाहिए.

इसके अलावा स्टाफ को आग बुझाने का स्थान, होज रील आदि उनके संबंधित मंजिलों पर उपलब्ध कराए जाए. अपने के कार्य क्षेत्र से निकटतम निकासस और असेमबली पॉइंट की पूरी जानाकारी होनी चाहिए.

इसके अलावा स्टाफ द्वारा तुरंत आग / डिप्टी फायर वार्डन को सूचित किया जाना चाहिए. यदि कोई निकास द्वार / मार्ग ढीली सामग्री, सामान, आदि द्वारा बाधित है, कोई सीढ़ी दरवाजा, लिफ्ट लॉबी दरवाजा स्वचालित रूप से बंद नहीं होता है, या पूरी तरह से बंद नहीं होता है, तो इसके बारे में स्टाफ मेंमबर को चाहिए कि वो फायर वार्डन को सूचित करें. साथ स्टाफ को यह भी बताना चाहिए कि कौन सा कोई पुश बटन फायर अलार्म पॉइंट या फायर एक्सटिंग्यूशर बाधित, क्षतिग्रस्त या काम नहीं कर रहा है.

अग्नि दुर्घटनाओं के लिए निर्देश

अस्पताल परिसर में किसी भी आग की घटना के दौरान कर्मचारियों को चाहिए कि वो निकटतम फायर अलार्म का कांच तोड़ें.

फर्श पर दिए गए अग्निशामक / होज रील के साथ आग को रोकने की कोशिश करे (फायर वार्डन से मार्गदर्शन लेने के बाद).

आग संरक्षण की आवश्यकता

अस्पता को आग से बचाने के लिए इमारतों का डिजाइन और उनका निर्माण भारत के नेशनल बिल्डिंग कोड के भाग IV अग्नि सुरक्षा के अनुसार किया जाए.

भारत में अस्पतालों की अग्नि सुरक्षा

भारत में अस्पताल में आग लगने वाले सबसे भयावह मामले निम्नलिखित हैं:-

कोलकाता का एएमआरआई अस्पताल

दिसंबर 2011 को कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में हुई एक आग दुर्घटना में लगभग 95 लोग मारे गए थे. इस हादसे का मुख्य कारण तहखाने में संयुक्त पदार्थों में एक विद्युत शॉर्ट सर्किट होना था. यह अस्पताल के प्रबंधन द्वारा लापरवाही का मामला था.

भुवनेश्वर का IMS & SUM अस्पताल

17 अक्टूबर, 2016 को हमने भुवनेश्वर के आईएमएस एंड एसयूएम अस्पताल में सबसे भयावह फायर एक्सीडेंट में से एक है. इसमें 22 मारे गए और 120 घायल हु थे. इसके पीछे का कारण आपात स्थिति के दौरान अस्पताल के कर्मचारियों की तैयारियों का अभाव था.

हनमकोंडा में रोहिणी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल

17 अक्टूबर 2017 को तेलंगाना के हनामकोंडा में रोहिणी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में एक बिजली के शॉर्ट-सर्किट से आग लग गई. हादसे के समय इस अस्पताल में 199 मरीज भर्ती थे. इस दौरान दो मरीजों की मौत हो गई और चार घायल हो गए. अस्पताल का फायर सेफ्टी सिस्टम इस महत्वपूर्ण समय के दौरान काम नहीं किया.

माई हॉस्पीटल इंदौर

इंदौर के माई हॉस्पीटल में 4 नवंबर 2017 को आग लगने से 47 नवजात शिशुओं की जान खतरे में पड़ गई थी. सौभाग्य से कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन आरोप है कि अस्पताल फायर सेफ्टी कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा था.

इन सभी मामलों में एक बात आम था कि यह सभी फायर सेफ्टी नियमों को उल्लंघन कर रहे थे.

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