जेके लोन अस्पताल में आग लगने से मचा हड़कंप जयपुर. राजस्थान की राजधानी जयपुर के जेके लोन अस्पताल में आग लगने से हड़कंप मच गया. जिस वार्ड में आग लगी थी, उसमें करीब 30 बच्चे थे. अचानक आग लगने से अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया. अस्पताल में धुआं ही धुआं फैल गया था. सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाने का प्रयास शुरू किया गया. फायर कर्मियों ने ही बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला. घटना सोमवार रात की बताई जा रही है. जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ कैलाश मीणा समेत अन्य अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का मौका मुआयना किया.
जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा के मुताबिक जेके लोन अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्थित वार्ड में आग लगी थी. सोमवार देर रात को अचानक वार्ड में आग लग गई. आग धीरे-धीरे तेज होने लगी, तो पूरे वार्ड में धुंआ से भर गया था. अस्पताल प्रशासन को जानकारी मिलते ही दमकल को सूचना की गई. अस्पताल के कर्मचारियों ने अपने स्तर पर भी वार्ड में भर्ती बच्चों को बचाने के लिए खिड़कियां खोलकर धुंआ बाहर निकालने का प्रयास किया. वार्ड में थैलेसीमिया से पीड़ित और कैंसर से पीड़ित बच्चे भर्ती थे. सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग बुझाने में जुट गई.
दमकल कर्मचारियों के साथ अस्पताल के कर्मचारियों ने भी सहयोग किया. दमकल कर्मियों ने अस्पताल कर्मियों के साथ मिलकर वार्ड से बच्चों को सुरक्षित निकाल कर दूसरे वार्ड में शिफ्ट करवाया. पास के वार्ड में भी धुंआ पहुंचने से अफरा तफरी का माहौल बन गया. पास वाले वार्ड के बच्चों को भी दूसरे वार्ड में शिफ्ट करवाया गया. आग लगने से बच्चों के परिजनों में भी दहशत का माहौल बन गया. सभी को आग वाले वार्ड से दूर किया गया. कई परिजन रोने लग गए जिससे माहौल और भी खराब हो गया था. ऐसे में अस्पताल के कर्मचारियों ने परिजनों को भी समझा बुझाकर आग वाली जगह से दूर करवाया और बच्चों को सुरक्षित वार्ड से दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया. करीब 1 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया. आग लगने से वार्ड की हालत खराब हो गई. वहीं बच्चों का दूसरे वार्ड में शिफ्ट करके उसका इलाज शुरू किया गया.
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जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ कैलाश मीणा के मुताबिक वार्ड में सबसे पहले एसी में शॉर्ट सर्किट होने से आग लगी थी. धीरे-धीरे आग फैलती गई और अफरातफरी का माहौल बन गया. लेकिन समय रहते आग पर काबू पा लिया गया. जिससे किसी प्रकार की कोई जनहानि नहीं हुई है. हालांकि आग लगने की वास्तविक कारणों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए एक जांच कमेटी गठित की गई है, जो आग लगने की असली वजह का पता लगाएगी. प्री फैब वार्ड का निर्माण कोरोना के समय किया गया था. वार्ड में प्लास्टिक सामग्री का भी उपयोग किया गया है.
आगजनी घटना की जांच करेगी उच्च स्तरीय कमेटीः जेके लोन अस्पताल के वार्ड में आग लगने की घटना के बाद अब मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है. ये कमेटी 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपेगी. साथ ही सभी मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध अस्पतालों की इलेक्ट्रिक और फायर यूनिट के ऑडिट के भी निर्देश दिए गए हैं. मंगलवार को चिकित्सा शिक्षा प्रमुख शासन सचिव टी रविकांत ने अस्पताल में वार्ड का निरीक्षण किया और वहां से शिफ्ट किए गए मरीजों और उनके परिजनों से कुशलक्षेम पूछी. इस दौरान प्रत्यक्षदर्शी अटेंडेंट महिला ने बताया कि वार्ड में धुंआ आने के 6 से 7 मिनट के अंदर नर्सिंगकर्मियों और चिकित्सकों की टीम ने सभी मरीजों को दूसरे वार्डों में शिफ्ट कर दिया. टी रविकांत ने बताया कि सभी बच्चे सुरक्षित है और उन्हें अलग वार्डों में शिफ्ट कर उनका निर्धारित उपचार किया जा रहा है. उन्होंने ड्यूटी डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ की तत्परता को लेकर सराहना की.
साथ ही मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की. ये कमेटी 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपेगी. प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि जिस कम्पनी ने ये वार्ड बनाया है उनके प्रतिनिधियों को भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि वो पूरे सिस्टम की दोबारा जांच कर इसे रिस्टोर करें. साथ ही भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो इसके लिए सभी मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध अस्पतालों की इलेक्ट्रिक और फायर यूनिटों के तकनीकी ऑडिट के निर्देश दिए हैं. जांच कमेटी में वरिष्ठ आचार्य शिशु औषध डॉ. जगदीश सिंह, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. मनीष शर्मा, चिकित्सा शिक्षा के अधीक्षण अभियंता नीरज जैन शामिल हैं. साथ ही पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता विद्युत मुकेश सिंघल, राजमेस के अधिशाषी अभियंता विद्युत जितेन्द्र मोहन और अधिशाषी अभियंता सिविल एएन रावत शामिल हैं.