आइजोल : मिजोरम पुलिस ने कोलासिब जिले के वैरेंगते नगर के बाहरी हिस्से में हुई हिंसा के मामले में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma), राज्य पुलिस के चार वरिष्ठ अधिकारियों और दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए हैं. पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
मिजोरम के पुलिस महानिरीक्षक (मुख्यालय) जॉन एन ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ हत्या का प्रयास और आपराधिक साजिश समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
उन्होंने कहा कि सीमांत नगर के पास मिजोरम और असम पुलिस बल के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सोमवार देर रात को राज्य पुलिस द्वारा वैरेंगते थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्होंने बताया कि असम पुलिस के 200 अज्ञात कर्मियों के खिलाफ भी मामले दर्ज किये गए हैं.
असम पुलिस ने मिजोरम सरकार के छह अधिकारियों को तलब किया
वहीं असम पुलिस ने कोलासिब जिले के पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त समेत मिजोरम सरकार के छह अधिकारियों को धोलाई पुलिस थाने में सोमवार को पेश होने के लिए समन किया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
असम पुलिस के एक सूत्र ने शुक्रवार को कहा कि इन अधिकारियों को 28 जुलाई को समन जारी किये गये थे. इससे दो दिन पहले कछार जिले के लैलापुर में असम और मिजोरम पुलिस बलों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें असम पुलिस के पांच कर्मी और एक निवासी की मौत हो गई थी जबकि 50 से अधिक अन्य घायल हो गए थे. इस मामले के संबंध में एक मामला धोलाई पुलिस थाने में दर्ज है.
बता दें कि सोमवार को असम के कछार जिले से सटी सीमा पर दो गुटों में झड़प हुई थी. लैलापुर-वैरेंगटे इलाके में दोनों राज्यों का सीमा विवाद है. झड़प के दौरान यहां दोनों राज्यों की पुलिस और स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए.
आरोप है कि संघर्ष के दौरान मिजोरम पुलिस ने असम के पुलिस अधिकारियों की एक टीम पर फायरिंग की, जिसमें असम पुलिस के 6 कर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई. साथ ही एक एसपी सहित 85 से अधिक अन्य लोग जख्मी हो गए. तनाव के बाद यहां सीआरपीएफ की दो कंपनियों को तैनात किया गया था.
अंग्रेजों के जमाने में ही पड़ गई थी विवाद की नींव
इस विवाद को खड़ा करने वाले अंग्रेज ही थे. आजादी के बाद सिर्फ मिजोरम ही नहीं, नगालैंड, अरुणाचल और मेघालय भी असम का हिस्सा रहे. असम से कब अलग हुए, आगे बताएंगे. असम के इतने बड़े इलाके में कई ट्राइब्स के लोग रहते थे. मिजो, नगा, खासी, जयंतिया, गारो जैसे कई ट्राइब्स. इन ट्राइब्स का अपना इलाका भी था, जिसे हिल्स कहते थे. जैसे नगा हिल्स, जयंतिया हिल्स. मिजो लोगों का रिहायशी इलाका लुशाई हिल्स था, जो असम के कछार जिले में आता था. जब ट्राइबल अस्मिता की बात हुई तब अंग्रेजों ने 1875 में उनके इलाकों का सीमांकन किया. लुशाई पहाड़ियों और कछार मैदानों के बीच की सीमा खींची गई.
1933 की अधिसूचना को नहीं मानता मिजोरम
फिर आया 1933 का दौर, जब मणिपुर की रियासत ने बॉर्डर के मसले को उठाया. अंग्रेजों ने एक बार फिर बॉर्डर पर सीमा रेखा खींची. 1933 की अधिसूचना के जरिए लुशाई हिल्स और मणिपुर का सीमांकन किया गया. मिज़ो लोग इस सीमा को स्वीकार नहीं करते हैं. मिजोरम के नेताओं का कहना है कि मिजो समाज से सलाह नहीं ली गई थी, इसलिए वह 1933 की अधिसूचना को नहीं मानते. जबकि असम सरकार इस अधिसूचना का पालन करती है. जब 1972 में मिजोरम को असम से अलग किया गया था, तब दोनों राज्यों में नो मेंस लैंड को बरकरार रखने पर सहमति बनी थी
दोनों राज्यों के तीन-तीन जिले आपस में मिलते हैं
असम और मिजोरम की सीमा 164.6 किलोमीटर लंबी है. असम की बराक घाटी के जिले कछार, करीमगंज और हैलाकांडीए मिजोरम के तीन जिलों से मिलते हैं. मिजोरम का आइजोल, कोलासिब और मामित इलाका असम से जुड़ता है. मिजोरम का दावा है कि उसके लगभग 509 वर्गमील इलाके पर असम का कब्जा है.
विवाद की जड़ में कई अन्य कारण भी हैं
- जो राज्य असम से अलग हुए, वे अपने सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान पर पुरानी छाप नहीं दिखाना चाहते हैं. इसका मनोवैज्ञानिक असर छोटे-मोटे विवादों पर पड़ता है.
- पहाड़ी इलाकों में खेती योग्य जमीन पर सबकी नजर रहती है. आज के दौर में यह इलाके कमर्शल वैल्यू भी रखते हैं. इस कारण जमीन का विवाद दो राज्यों के लिए बड़ा हो जाता है
- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में इनर लाइन परमिट प्रणाली लागू है. इन राज्यों में जाने के लिए असमिया लोगों को भी परमिट लेनी पड़ती है जबकि वे लोग बिना रोकटोक असम आते हैं. इसके खिलाफ असम में माहौल भी है.
असम का अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम के साथ सीमा को लेकर विवाद है. पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन किया था.
(एजेंसी इनपुट)