तेजपुर :मणिपुर में हिंसा को लेकर 15 विभिन्न संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को संयुक्त रूप से एक ज्ञापन भेजा है. ज्ञापन भेजने वाले संगठनों में ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब ऑर्गनाइजेशन (AMUCO), मानवाधिकार समिति (COHR), नेशनल रिसर्च सेंटर (NRC), परी लीमारल मीरा पैबी अपुनबा लूप मणिपुर (PLMPAM), इंडिजिनस फोरम (IPF), इराबोट फाउंडेशन मणिपुर (IFM), सदाओ मणिपुर जातीय सामाजिक सांस्कृतिक संगठन (AMESCO), ऑल मणिपुर मीटी पंगल क्लब ऑर्गनाइजेशन (AMMPCO), मणिपुर इंटरनेशनल यूथ सेंटर (MIYC), पंगल स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (PSO), ऑल मणिपुर वीमेन वालंटियर्स एसोसिएशन (AMAWOVA), मणिपुर स्टूडेंट्स फेडरेशन (MSF) ), सेंटर फॉर रिसर्च एंड एडवोकेसी मणिपुर (सीआरएम), यूथ्स फाउंडेशन फॉर फिटनेस एंड सर्विस मणिपुर (वाईओएफएस) और ऑल मणिपुर मैनपावर अपलिफ्टमेंट सेंटर (एएमएमयूसी), यूएन डिपार्टमेंट ऑफ सिविल सोसाइटी, एमनेस्टी इंटरनेशनल और आईसीआरसी, इंडिया चैप्टर (8) यूएनओडीसी, एशिया टू शामिल है. इन संगठनों ने मणिपुर की वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए यह ज्ञापन दिया है.
कुकी उग्रवादियों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप
इस ज्ञापन में गरीबी, सैन्यीकरण, भारत के केंद्रीय सुरक्षा बलों की भूमिका और कुकी उग्रवादियों द्वारा ऑपरेशन ग्राउंड नियमों के लगातार उल्लंघन जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया है. ज्ञापन में मणिपुर में सांप्रदायिक संघर्ष में कारण विदेशी चिन-कूकी-मिज़ो (म्यांमार) भाड़े के सैनिकों की भागीदारी और मणिपुर और पूरे उत्तर पूर्व में अंतर-सांप्रदायिक संबंधों और यहां की शांति पर इसके असर को भी संदर्भित करता है.
यूएन से हस्तक्षेप की मांग
ज्ञापन में मांग की गई है कि यूएन स्थापित अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के अनुसार हस्तक्षेप करे. ज्ञापन के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र का ध्यान कुकी उग्रवादियों द्वारा नाकेबंदी के माध्यम से मानव अधिकारों के उल्लंघन और जीवन में व्यवधान की ओर आकर्षित करने की कोशिश की गई है. ज्ञापन में कहा गया है कि जनजातीय एकता समिति (COTU), कुकी छात्र संगठन (KSO) और स्वदेशी जनजातीय नेता फोरम (ITLF) ने हाइवे को अवरुद्ध कर लोगों की मुक्त आवाजाही को प्रतिबंधित किया है.
मणिपुर में गरीबी और अकाल की स्थिति
इसके साथ ही आवश्यक वस्तुओं के परिवहन को भी रोका गया है. जो कि अमानवीय है. ज्ञापन में कहा गया कि इस कारण से लोगों की मौतें हो रही हैं और यह एक नरसंहार है. क्योंकि इन संगठनों की गतिविधियों के कारण मणिपुर में बड़े पैमाने पर मुद्रास्फीति, गरीबी और अकाल की स्थिति पैदा हो गई है. ज्ञापन में उत्तर पूर्व और भारत-म्यांमार सीमा और इसके व्यापक वित्तीय नेटवर्क में सामाजिक और राजनीतिक जीवन पर ड्रग्स के प्रभाव को भी संयुक्त राष्ट्र के समक्ष उठाया गया है.