लखनऊ : यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता...अर्थात जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवता वास करते हैं. हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. एक महिला कई रुप में अपनी जिम्मेदारियां संभालती है और अपने अधिकारों के लिए लड़ती है. यह उन महिलाओं के प्रशंसा का दिन है जो अपने व्यक्तिगत और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करती हैं. ईटीवी भारत के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल कार्यक्रम नारी... कल आज और कल में हम बात करेंगें उस ऊर्जा और शक्ति की जो शिव में शक्ति के रूप में भी पूजी जाती है और पूरी सृष्टि का आधार मानी जाती है.
इस खास कार्यक्रम में हम आपको महिलाओं से जुड़ी उन बातों के बारे में बताएंगे जो वह अपने काम के दौरान या फिर अपने घरों में फेस करती हैं.
सवाल- महिला दिवस मनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
जवाब- इस बारे में निधि ने बताया कि महिला दिवस सिर्फ एक दिन का दिवस नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि हम एक दिन महिला दिवस मनाकर सभी को जागरूक कर लेंगे. जैसे स्वच्छता अभियान के लिए महीनों तक लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वैसे ही महिला दिवस पर उनके अधिकारों के बारे में उनकी शिक्षा को लेकर लंबे समय तक जागरूक करना होगा. ग्रामीण हों या शहरी क्षेत्र हमें महिला दिवस मनाने की जरूरत दोनों जगह है.
सवाल- क्या अभी भी महिलाओं को पुरुषों से कम आंका जाता है?
जवाब- इसके जवाब में सत्या आभा ने कहा कि कई क्षेत्रों में महिलाओं को पुरुषों से कम आंका जाता है और कई क्षेत्रों में ऐसा नहीं भी है. पहले से अब काफी बदलाव आया है. अब तो लगभग हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. कोरोना के समय में अस्पताल हो या फिर मीडिया क्षेत्र हर जगह महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है.
सवाल- महिलाओं के लिए ज्यादातर एक क्षेत्र बांध दिया जाता है कि उनके लिए टीचिंग का क्षेत्र ज्यादा सही है और वह मीडिया जैसे क्षेत्रों में न जाएं.