रांची :झारखंड केबिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University) परिसर में स्थित खेतों में गुरुवार को ड्रोन उड़ते देख स्थानीय किसानों के होश उड़ गए. ये ड्रोन दो घंटे तक खेतों में मंडराते नजर आए. दरअसल, खेतों में कीटनाशक दवाओं के छिड़काव का प्रदर्शन किया जा रहा था. इस दौरान इन ड्रोन की मदद से फसलों पर केमिकल की बारिश की जा रही थी, जिसे देखने के लिए किसानों की भीड़ लग गई थी.
जानकारी के मुताबिक, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में लगाई गई धान की फसलों पर गुरुवार को चेन्नई की गरुदा एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (Garuda Aerospace Private Limited) के ड्रोन से कीटनाशी रसायन के छिड़काव का प्रदर्शन किया गया. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय परिसर में धान फसल के प्रायोगिक फार्म में ड्रोन के माध्यम से धान फसल पर फफूंदनाशी रसायन के छिड़काव की घटना देखने के लिए काफी किसान मौके पर जुटे थे. दो घंटे तक ड्रोन हवा में उड़ते रहे. इस दौरान छिड़काव की दर चार एकड़ प्रति घंटे रही. कृषि विश्वविद्यालय में इस तकनीक का प्रदर्शन पहली बार किया गया. मौके पर विवि के अनेक वैज्ञानिक, आस–पास के गांवों के किसान और श्रमिक मौजूद रहे.
इस तकनीक से होगी रसायन की बचत
वैज्ञानिक डीके रूसिया ने बताया कि ड्रोन के माध्यम से अब विभिन्न फसलों में खर-पतवारनाशी तथा फफूंदनाशी रसायन का आसानी से छिड़काव संभव हो गया है. इस तकनीक से न सिर्फ श्रम व पैसे की बचत की जा सकती है, बल्कि 30 से 40 फीसद तक रसायन की भी बचत होती है.
पौधा रोग वैज्ञानिक डॉ. एचसी लाल ने कहा कि ड्रोन तकनीकी से एक दिन में 25 से 30 एकड़ में लगे फसल पर कीटनाशी का छिड़काव किया जा सकता है. फसल लगे खेतों में बड़े पैमाने पर कीट व्याधि के प्रकोप पर यह काफी कारगर साबित हो सकती है. इसके उपयोग से कम समय एवं कम श्रम शक्ति से अधिक क्षेत्र में छिड़काव किया जा सकता है. साथ ही रसायनों से दूरी की वजह से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है.