नई दिल्ली :संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली बॉर्डरों से 500 किसानों का जत्था प्रतिदिन संसद की ओर मार्च करेगा और प्रदर्शनकारी किसान संसद भवन के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे. बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा. यह घोषणा संयुक्त किसान मोर्चा ने की है. वहीं किसान मोर्चा के ऐलान के बाद एक बार फिर प्रशासन के सामने चुनौती खड़ी हो गई है और चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या 26 जनवरी के बाद दिल्ली में एक बार फिर ट्रैक्टर मार्च के ऐलान से कानून व्यवस्था को लेकर स्थिति खड़ी हो सकती है? हालांकि इस बार ट्रैक्टरों की संख्या कम और किसानों की संख्या 500 से ज्यादा न होने की बात किसान मोर्चा द्वारा कही गई है.
सुनिए क्या कहा किसान नेताओं ने. इन तमाम मुद्दों पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. दर्शनपाल और चौधरी युद्धवीर सिंह से ईटीवी भारत ने बातचीत की. इस दौरान डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि किसानों की तरफ से ट्रैक्टर मार्च पूरी तरह शान्तिपूर्ण और अनुशासित रहेगा लेकिन यदि कुछ अराजक तत्व इसमें प्रवेश कर कानून व्यवस्था खराब करने का प्रयास करते हैं तो इसके लिए किसानों को जिम्मेवार नहीं ठहराया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि वह ट्रैक्टर मार्च से पहले सभी आवश्यक निर्देश जारी करेंगे और शामिल होने वाले सभी 500 किसानों का पंजीकरण कर उन्हें पहचान पत्र भी जारी किया जाएगा. अभी तक ट्रैक्टर मार्च के लिए प्रशासन से अनुमति की मांग नहीं की गई है लेकिन आने वाले दिनों में यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी. ट्रैक्टर की संख्या कम ही रखी जाएगी लेकिन धरना में 500 किसान शामिल होंगे.
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किसान आंदोलन के साथ-साथ देश में निजीकरण और नये श्रम कानून के मुद्दे पर ट्रेड यूनियन का आंदोलन भी चलता रहा है लेकिन अब ट्रेड यूनियनों के संयुक्त समूह ने किसान आंदोलन के साथ मिलकर अपने कार्यक्रमों की घोषणा करने के साथ ही समर्थन देने की बात कही है. इसीक्रम में गुरुवार को जंतर-मंतर पर आयोजित ट्रेड यूनियन के कार्यक्रम में डॉ. दर्शनपाल, युद्धवीर सिंह, हनन मोल्ला, डॉ. अशोक धावले और अन्य किसान नेता शामिल हुए.
इस अवसर पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय महामंत्री युद्धवीर सिंह ने कहा कि ट्रैक्टर मार्च की घोषणा किसान मोर्चा की तरफ से कर दी गई है. 29 नवंबर से किसान सभी मोर्चों से ट्रैक्टरों के साथ आगे बढ़ेंगे और यह प्रशासन पर निर्भर करता है कि वह उन्हें संसद तक पहुंचने देते हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन द्वारा उन्हें रोका जाएगा तो वह उसी स्थान पर बैठ जाएंगे और अगले दिन उतनी ही संख्या में फिर से किसान बॉर्डर पर मोर्चे से ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे.
आंदोलन के एक साल की उपलब्धि पर बात करते हुए युद्धवीर सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन के कारण ही देश और दुनिया में भारत सरकार का असली चेहरा उजागर हुआ है. केवल किसान संगठन में ही यह क्षमता थी और उन्होंने सरकार के वास्तविक चारित्र को दुनिया के सामने रख दिया. उन्होंने कहा कि संसद के पिछले सत्र के दौरान किसान मोर्चा ने जंतर मंतर पर किसान संसद लगाई थी जिसमें उन्हें विपक्षी पार्टियों का भी साथ मिला था.
सत्र से पहले किसान मोर्चा द्वारा सभी विपक्षी पार्टियों से अपील भी की गई थी कि वह किसानों के मुद्दे पर संसद में लगातार सवाल उठाते रहें और सरकार को घेरें. अब क्या शीतकालीन सत्र से पहले भी विपक्षी पार्टियों से इस तरह का संवाद हो सकता है? इस सवाल पर डॉ. दर्शनपाल और युद्धवीर सिंह ने कहा कि इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में निर्णय लिया जाएगा. इन नेताओं ने कहा कि उनका मानना है कि निश्चित रूप से विपक्ष को अपनी भूमिका निभाते हुए किसानों और मजदूरों के मुद्दे को प्रमुखता से संसद में उठाना चाहिए और दबाव बनाना चाहिए.