नई दिल्ली : कांग्रेस नेता सचिन पायलट ( Congress leader Sachin Pilot) ने मंगलवार को कहा कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के बावजूद मोदी सरकार के प्रति किसानों का अविश्वास खत्म नहीं होगा और आगामी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार को न सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देनी चाहिए, बल्कि उपज की खरीद सुनिश्चित करने के लिए भी कोई नियमन या कानून बनाना चाहिए. राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री पायलट ने एक साक्षात्कार में कहा कि अब मोदी सरकार चाहे कुछ भी करे, किसानों के मन से उस पीड़ा को खत्म करने में बहुत देर हो चुकी है जिससे उन्हें कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान गुजरना पड़ा.
उन्होंने कहा, 'भारत के इतिहास में किसानों की ओर से इतना लंबा आंदोलन नहीं देखा गया. यह एक साल चला है. अगर कानूनों को वापस ही लेना था तो लोगों की जान और जीविका को नुकसान पहुंचाने की क्या जरूरत थी. किसानों को नक्सलवादी, अलगाववादी और आतंकवादी तक कहा गया. मंत्री के रिश्तेदारों ने लोगों पर गाड़ियां चढ़ा दीं.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सवाल किया कि अगर किसानों को लेकर इतनी कटुता थी तो फिर सरकार ने कानूनों को वापस लेने की घोषणा क्यों की? साथ ही, उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर राजनीतिक नफा-नुकसान का आकलन करने के बाद यह निर्णय लिया गया.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत सप्ताह तीनों कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की और कहा कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इसके लिए विधायी प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी.
'पहले किसान संगठनों के साथ बातचीत नहीं की'
पायलट ने आरोप लगाया कि कानून बनाने की घोषणा से पहले किसान संगठनों के साथ कोई बातचीत नहीं की गई और संसद में 'प्रचंड बहुमत' के बल पर इन कानूनों को थोप दिया गया और किसानों का गला घोंट दिया गया. कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा, 'किसान इस सरकार को हमेशा संदेह की नजर से देखेंगे. हमारे ऊपर किसानों का कर्ज है जो इस देश को अन्न मुहैया कराते हैं.
'MSP के लिए कानूनी गारंटी ही पर्याप्त कदम नहीं'
पायलट के मुताबिक, सिर्फ एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी ही पर्याप्त कदम नहीं होगा, बल्कि खरीद सुनिश्चित करने के लिए किसी नियमन या कानून को बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों को बुलाकर उनके मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए.