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किसानों को एमएसपी से ज्यादा मिल रहा गेहूं पर दाम, फिर भी मांग रहे बोनस - न्यूनतम समर्थन मूल्य

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक बजार में गेहूं की बढ़ी कीमत और भारत में मौसम की मार के कारण हुए कम उत्पादन के कारण इस बार किसानों को गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा दाम मिल रहा है. फिर भी किसानों के द्वारा बोनस की मांग की जा रही है. पढ़िए ईटीवी भारत के संवाददाता अभिजीत ठाकुर की रिपोर्ट...

National President of All India Kisan Sabha Dr. Ashok Dhawale
ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अशोक धावले

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Published : May 6, 2022, 7:51 PM IST

नई दिल्ली:रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक बजार में गेहूं की बढ़ी कीमत और भारत में मौसम की मार के कारण हुए कम उत्पादन के कारण इस बार किसानों को गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा दाम मिल रहा है. इसमें गेहूं के उत्पादक मुख्य राज्य में पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश राज्यों के अधिकांश किसान अब मंडी के बजाय व्यापारियों को अपनी फसल बेच कर एमएसपी से ज्यादा दाम पा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी किसानों में एक निराशा है. वहीं सरकार द्वारा गेहूं पर तय किया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बाजार में व्यापारी इससे ज्यादा कीमत देकर किसानों से फसल खरीद रहे हैं. यही कारण है कि इस बार सरकारी खरीद में भारी कमी आना तय है.

हालांकि किसान संगठन यह मांग कर रहे हैं कि किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस मिलना चाहिए. इस संबंध में ईटीवी भारत ने ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अशोक धावले से बातचीत की. उन्होंने बताया कि किसानों की इस मांग के पीछे बिल्कुल वाजिब कारण हैं क्योंकि अन्य वर्ष के मुकाबले इस बार फसल के उत्पादन में गिरावट आई है और अनाज के गुणवत्ता में भी कमी है. किसान नेता ने कहा कि मार्च में अचानक बढ़ी गर्मी के कारण गेहूं की फसल अपेक्षित समय से पहले ही पक गई, लिहाजा किसानों को इसे जल्दी काटना पड़ा. इस वजह से न केवल दाने छोटे रह गए बल्कि उत्पादन में भी बड़ी गिरावट आई. उन्होंने कहा कि हालांकि अब किसानों को एमएसपी से कुछ ज्यादा रुपये प्रति क्विंटल जरूर मिल रहा है लेकिन यह फायदा केवल सामयिक और कम है. जिस तरह से खाद, कीटनाशक और डीजल- पेट्रोल के दाम बढ़े हैं, इन सबका असर खेती के लागत मूल्य पर भी पड़ता है. एमएसपी घोषित किए जाने के समय परिस्थितियां कुछ और थीं और फसल काटे जाने के बाद बदल गईं. वहीं मौसम की मार के साथ-साथ किसानों को महंगाई की मार भी झेलनी पड़ी, ऐसे में सरकार किसानों को अतिरिक्त बोनस दे यह उचित होगा.

अशोक धावले ने कहा कि सरकार द्वारा इस रबी वर्ष के लिए घोषित 2015 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी वैसे भी स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश के अनुसार यदि C2+50% के फॉर्मूले से एमएसपी तय की जाए तो तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल होती है. लेकिन यह सरकार केवल 2015 रुपये में अपनी पीठ थपथपा रही है. मौजूदा परिस्थितयों को देखते हुए किसानों को कम से कम 2500 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत गेहूं पर मिलनी चाहिए.

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आरएसएस के किसान संगठन ने भी की थी मांग :भारतीय किसान संघ ने 28 अप्रैल को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर यह मांग की थी कि किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया जाना चाहिए. भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष बद्री नारायण चौधरी ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में कहा कि किसानों के हित के लिए उन्होने सरकार को पत्र लिखा था लेकिन अब तक इसका कोई जवाब नहीं आया है. उन्होंने कहा कि गेहूं के उत्पादन में इस वर्ष 15 प्रतिशत तक की कमी आने का अनुमान है, हालांकि वास्तविक आंकड़े बाद में आएंगे. भारतीय किसान संघ की मांग है कि किसानों को अतिरिक्त पैसा देने के लिए राज्य सरकार और केंद्र दोनों मिल कर निर्णय ले सकते हैं.

उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर रूस-यूक्रेन के बीच लंबे युद्ध के कारण गेहूं की आपूर्ति में कमी हुई और इसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत भी बढ़ी है. मुनाफे की संभावना को देखते हुए भारत में इस समय व्यापारी किसानों को 15 से 150 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा देकर गेहूं, खरीद और स्टॉक कर रहे हैं. इसके कारण सरकारी खरीद में 50 प्रतिशत तक की कमी होने की बात कही जा रही है. हालांकि सरकार के पास अभी पर्याप्त स्टॉक है लेकिन बतौर किसान संघ, वितरण प्रबंधन की कमी के कारण आज भी जरूरतमंद लोगों तक राशन नहीं पहुंच पाता है. बद्री नारायण चौधरी ने बताया कि किसानों को गेहूं पर लागत मूल्य भी ज्यादा लगी है और इसलिये 500 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस उनके आंसू पोछने के काम आएगा.

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