कतर में पूर्व भारयीय नौसेना अधिकारियों की सजा पर बोला विदेश मंत्रालय, 'हम कानूनी टीम के संपर्क में' - विदेश मंत्रालय
Ministry of External Affairs, Indians in Qatar Prison, कतर में भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों की मौत की सजा के बारे में जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय ने बताया कि उनकी सजा घटाकर आजीवन कारावास में बदल दी गई है. इस घटनाक्रम की जानकारी विदेश मंत्रालय के नवनियुक्त प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने दी.
नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की कि भारतीय नौसेना के जिन पूर्व अधिकारियों को कतर सरकार द्वारा मौत की सजा दी गई थी, उन्हें घटाकर आजीवन कारावास में बदल दिया गया. विदेश मंत्रालय के नवनियुक्त प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने गुरुवार को अपना रुख दोहराया और कहा कि 'कानूनी दस्तावेज नई दिल्ली के साथ साझा किए गए थे.'
हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने फैसले का विवरण साझा करने से इनकार कर दिया. साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि मामला कतरी अदालत में लंबित है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा संवेदनशील और कानूनी दोनों है और इसलिए वह विस्तृत निर्णय साझा नहीं करेंगे.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि '28 दिसंबर को कोर्ट ऑफ अपील्स ने एक फैसला सुनाया था. हमने पहले ही एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें हमने पुष्टि की थी कि मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है. अब हमारे पास गोपनीय, कानूनी दस्तावेज़ है. कानूनी टीम की उस तक पहुंच है.'
उन्होंने आगे कहा कि 'हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं. कतर में अपील की सर्वोच्च अदालत, कोर्ट ऑफ कैसेशन ने कानूनी टीम को अगली कार्रवाई तय करने के लिए 60 दिन का समय दिया है.' पिछले हफ्ते की शुरुआत में, विदेश मंत्रालय ने कतर में दहरा ग्लोबल मामले में फैसले पर एक बयान जारी किया था.
इस बयान में कहा गया कि 'हमने दहरा ग्लोबल मामले में कतर की अपील अदालत के आज के फैसले पर गौर किया है, जिसमें सजा कम कर दी गई है.' विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा है. हम अगले कदम पर निर्णय लेने के लिए कानूनी टीम के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के साथ निकट संपर्क में हैं. मंत्रालय ने कहा कि 'कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी परिवार के सदस्यों के साथ आज अपील अदालत में उपस्थित थे.'
मंत्रालय ने आगे कहा कि 'हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े हैं. हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे. हम इस मामले को कतरी अधिकारियों के समक्ष भी उठाना जारी रखेंगे.' इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण, इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.