नई दिल्ली:देश की लुप्तप्राय पक्षियों की प्रजातियों में शामिल दो पक्षियों ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन की संख्या में अचानक हुई गिरावट एक बार फिर से चिंताजनक हालात हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उन राज्य सरकारों से जवाब मांगा है, जहां इन पक्षियों की ये दो प्रजातियां प्रमुख रूप से पाई जाती हैं.
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2019 को इन दो भारतीय पक्षियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था. दरअसल, भारत में पाई जाने वाली पक्षियों की दस प्रजातियों को 2015 में ही इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्वर्सेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने विलुप्त प्राय प्रजातियों में घोषित किया. इसके पीछे के प्रमुख कारणों की बात करें तो पर्यावरण प्रदूषण, अवैध शिकार सहित अन्य शामिल हैं. इन विलुप्त प्राय पक्षियों की प्रजातियों में उक्त दो पक्षियों के अलावा लाल सिर वाला गिद्ध, वन उल्लू, स्पून बिल्ड सैंडपाइपर, सफेद बेली बगुला, हिमालयी बटेर, लैपविंग आदि शामिल हैं.
जानें इनकी वर्तमान स्थितियों के बारे में
भारतीय वन्यजीव संस्थान, सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री और नेशनल बायोडायवर्सिटी अथॉरिटी के सहयोग से साल 2020 में आई स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स ने 867 पक्षी प्रजातियों के बारे में अध्ययन किया. इस रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 261 प्रजातियों में से जिनके लिए दीर्घकालिक रुझान निर्धारित किए जा सकते हैं. वर्ष 2000 के बाद से लगभग सभी की संख्या में 80 % गिरावट आ रही है, लगभग 50 % पक्षियों की संख्या में तेजी के साथ कमी आ रही है.
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कुल मिलाकर, 43 % प्रजातियों में एक दीर्घकालिक प्रवृत्ति दिखाई दी, जो कि स्थिर थी और 5 % ने एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति दिखाई. ईगल और गिद्धों की संख्या भी कम हो गई है. 20 वर्षों में उत्तराखंड में पाए जाने वाले फिन पक्षी की संख्या में 94% तक की गिरावट आई है.