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कोरोना से फैली अव्यवस्था के लिए बढ़ता निजीकरण जिम्मेदार : उमा भारती

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Published : May 8, 2021, 1:04 PM IST

भाजपा नेता उमा भारती ने कोविड-19 से फैली अव्यवस्था के लिए बढ़ते निजीकरण को जिम्मेदार ठहराया है. वरिष्ठ नेता ने सीधे तौर पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों को कटघरे में खड़ा किया है.

उमा भारती
उमा भारती

भोपाल : मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता उमा भारती अपने बेबाक बयानों के लिए जानी जाती हैं. जिस तरह से कोविड-19 से लोगों की मौतें हो रही हैं और जो अवस्थाएं फैली हैं, उमा भारती ने इसके लिए बढ़ते निजीकरण को जिम्मेदार ठहराया है.

इसके साथ ही उन्होंने सरकारी लचर व्यवस्था को दोषपूर्ण माना है. बीजेपी नेता ने सीधे तौर पर सरकार को आईना दिखाने की कोशिश की है.

उन्होंने ट्वीट के जरिए स्वास्थ्य, शिक्षा के बढ़ते निजीकरण पर निशाना साधा है. उनका मानना है, यही वजह है कि गरीब और ज्यादा परेशान हो गया है. वरिष्ठ नेता ने सीधे तौर पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों को कटघरे में खड़ा किया है.

ट्वीट

गरीब के पास नहीं बचा कोई विकल्प
बीजेपी की वरिष्ठ नेता ने कहा कि अस्पताल और स्कूलों के लिए आया पैसा भवनों में खर्च कर दिया जाता है, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य की क्वालिटी गिर जाती है. उमा ने कहा कि अब गरीब के पास कोई विकल्प नहीं है.

ट्वीट

इतना नहीं पूर्व सीएम ने कहा कि अभी वर्तमान में जो हालात बने हैं. जिसमें लोगों को अपने घर, अपने जेवर और जमीन बेचकर प्रियजनों की जान बचाने के लिए प्राइवेट अस्पतालों का बिल भरना पड़ रहा है.

उमा भारती का ट्वीट
सरकारी अस्पताल और सरकारी स्कूलों के लिए आया पैसा भवनों को बनाने ने खर्च होता है. शिक्षा और स्वास्थ्य की क्वालिटी सेवा का अस्तित्व ही गिर गया. ट्वीट में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का जिक्र किया गया है. मुश्किल से पेट भरने वालों के सामने अब प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. गरीब सरकारी योजनाओं से वंचित हो गए हैं.

ट्वीट

उमा को उम्मीद
उमा भारती ने कोविड-19 का हवाला देते हुए उम्मीद जताई है कि शायद इस संकट काल में अपनी भूल सुधार सकें और स्वास्थ्य की सरकारी सेवाओं को गरीबों तक पहुंचा सके.

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उमा भारती ने यह भी कहा कि जब वह मोदी सरकार में 5 साल मंत्री थीं तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमेशा यही कहा था कि आर्थिक सुधारों से जो मुनाफा हो रहा है, उसका पैसा स्वास्थ्य और शिक्षा की सरकारी सेवाओं पर खर्च किया जाए.

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