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मराठा समुदाय ने कमजोर वर्ग को दिया संरक्षण, तो शुरू हुई सियासत

मराठा समुदाय के कमजोर वर्ग को महागठबंधन सरकार के आरक्षण देने के फैसले पर राजनीति शुरू हो गई है. जहां एक ओर मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक वीरेंद्र पवार ने फैसले पर नाराजगी जताई, वहीं दूसरी ओर विजय वेड्डितिवार ने निर्णय को मराठा आरक्षण को प्रभावित नहीं करने वाला बताया है.

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Published : Dec 25, 2020, 11:13 AM IST

मराठा समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को संरक्षण देने के मुद्दे पर गरमाई राजनीति
मराठा समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को संरक्षण देने के मुद्दे पर गरमाई राजनीति

मुंबई : महागठबंधन सरकार ने मराठा समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण (ईडब्ल्यूएस) का लाभ देने का फैसला किया. हालांकि, सरकार के इस फैसले के कारण, राज्य में मराठा संगठन आक्रामक हो गए हैं और इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू कर दी है.

मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक वीरेंद्र पवार ने फैसले पर नाराजगी जताई और कहा कि सरकार को 25 तारीख को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए था. उन्होंने यह भी कहा कि इस निर्णय के कारण, मराठा समुदाय का लाभ कम होगा और नुकसान ज्यादा होगा.

राहत और पुनर्वास मंत्री विजय वेड्डितिवार ने कहा कि इसलिए, कुछ नेता मराठा आरक्षण के मुद्दे पर दोहरी भूमिका निभा रहे हैं. एक ओर, वे मराठा छात्रों को न्याय देने की बात करते हैं. तो वहीं दूसरी ओर, वे इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश करते हैं. सरकार ने मराठा छात्रों के लिए 'ईडब्ल्यूएस' आरक्षण का विकल्प खोला है. निर्णय स्वैच्छिक है और यह मराठा आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा.

सरकार की भूमिका
मराठा समुदाय के हित के सवाल पर किसी को दोहरी भूमिका नहीं निभानी चाहिए. किसी भी माध्यम से मराठा समुदाय के बच्चों के लिए शिक्षा और नौकरियों की समस्या को हल करना सरकार की भूमिका है.

मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक मराठा समुदाय को फायदा पहुंचाने के लिए यह फैसला लिया गया है. छत्रपति संभाजी राजे ने कहा था कि मराठा समुदाय के छात्रों की शिक्षा और रोजगार को नुकसान नहीं होना चाहिए.

वेड्डितिवार ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर कारक, ईडब्ल्यूएस पर उस समय चर्चा की गई थी. विधायक विनायक मेटे ने भी ईडब्ल्यूएस का समर्थन किया था. अब, एक तरफ, सरकार के फैसले पर आपत्ति करना दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि सरकार छात्रों के नुकसान को रोकने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने मेट पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जिन छात्रों को तत्काल जरूरत है, वे इस निर्णय का लाभ उठा सकते हैं. लेकिन जो अभी इसका लाभ नहीं लेना चाहते, उनके लिए यह निर्णय वैकल्पिक है.

हालांकि, इससे आरक्षण मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

यह भी पढ़ें :मराठा समुदाय एसईबीसी श्रेणी में चाहता है आरक्षण : संभाजी छत्रपति

मराठा क्रांति मोर्चा की प्रतिक्रिया
सरकार को 50 फीसदी आरक्षण देकर इस मुद्दे को खत्म करना चाहिए. लेकिन अगर सरकार एक मुद्दे को उठाने के लिए दो-तरफा दृष्टिकोण रखती है, तो यह मराठा समुदाय के लिए खतरनाक होगा. इससे लाभ कम होगा और मराठा समुदाय का नुकसान बढ़ेगा. मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक वीरेंद्र पवार ने कहा कि मराठा समुदाय में भी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है.

मराठा समुदाय को ईडब्ल्यूएस से यह सुविधा मिलेगी
सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (एसईबीसी) के उम्मीदवारों को शैक्षणिक प्रवेश और भर्ती के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) आरक्षण का लाभ दिया जाएगा. एसईबीसी उम्मीदवारों को खुली श्रेणी या ईडब्ल्यूएस का लाभ उठाने के लिए वैकल्पिक होगा. यदि कोई उम्मीदवार शैक्षणिक प्रवेश या सरकारी सेवा में भर्ती के लिए ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ उठाता है, तो उम्मीदवार एसईबीसी आरक्षण के लाभ के लिए पात्र नहीं होगा.

EWS क्या है?
EWS का अर्थ है, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग. केंद्र सरकार ने पिछले साल ईडब्ल्यूएस वर्ग के व्यक्तियों को शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था. 8 लाख रुपये से कम वार्षिक पारिवारिक आय वाले व्यक्तियों को ईडब्ल्यूएस के तहत शिक्षा और नौकरी में आरक्षण मिल सकता है. इसके अलावा, शहर और गांव ने लोगों को कैसे रखा जाना चाहिए, इसके लिए अलग-अलग मापदंड तय किए हैं.

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