नई दिल्ली:फाल्गुन माह की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज के रूप में मनाया जाता है. इस बार फुलेरा दूज (Phulera Dooj 2022) शुक्रवार 4 मार्च 2022 को मनाई जाएगी. यह दिन होली के आगमन का प्रतीक माना जाता है. इस दिन से होली के पर्व की तैयारियां आरंभ हो जाती हैं. इस दिन से उत्तर भारत के गांवों में जिस स्थान पर होली रखी जाती है वहां पर प्रतीकात्मक रूप में उपले या फिर लकड़ी रख दी जाती हैं. कई जगहों पर इस दिन को उत्सव की तरह मनाया जाता है. इस दिन से लोग होली में चढ़ाने के लिए गोबर की गुलरियां भी बनाई जाती हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि फुलेरा दूज पर भी बन रहा है. होली से पहले आने वाली इस दूज से कृष्ण मंदिरों में फाल्गुन का रंग चढ़ने लगता है. इस पर्व का महत्व शादियों को लेकर भी है. होली से करीब पंद्रह दिन पहले शादियों का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाता है. जबकि फुलेरा दूज के दिन हर पल शुभ होता है. यह तिथि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होती है.
फुलेरा का शाब्दिक फूल है. यह माना जाता है कि भगवान कृष्ण फूलों के साथ खेलते हैं और फुलेरा दूज की शुभ पूर्व संध्या पर होली के त्योहार में भाग लेते हैं. यह त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां और उल्लास लाता है. वहीं, ज्योतिष शास्त्र में फूलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त माना गया है, जिसमें इस दिन बिना मुहूर्त देखे सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है. इस दिन भगवान कृष्ण और राधा जी की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम की बहार आती है और इस दिन शादी-विवाह करने पर भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद मिलता है.
विवाह के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फुलेरा दूज को हिंदू शास्त्रों में बड़ा ही महत्वपूर्ण योग बताया है. इसीलिए इस विशेष दिन सर्वाधिक विवाह समारोह भी संपन्न होते हैं. हिंदू पंचांग की मान्यता के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि विवाह बंधन के लिए वर्ष का सर्वोत्तम दिन है. कहते हैं कि इस दिन विवाह करने से दंपति को भगवान कृष्ण का आशीर्वाद हासिल होता है.
रिकॉर्ड तोड़ शादियां :सर्दी के मौसम के बाद इसे शादियों के सीजन का अंतिम दिन माना जाता है. इस दिन रिकॉर्ड तोड़ शादियां होती हैं. इसका अर्थ है कि विवाह, संपत्ति की खरीद इत्यादि सभी प्रकार के शुभ कार्यों को करने के लिए दिन अत्यधिक पवित्र है.
अबूझ मुहूर्त है फुलेरा दूज
इस त्योहार को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है. इस दिन किसी भी तरह के हानिकारक प्रभावों और दोषों से प्रभावित नहीं होता है और इसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है. सर्दी के मौसम के बाद इसे शादियों के सीजन का अंतिम दिन माना जाता है. इसलिए इस दिन रिकॉर्ड तोड़ शादियां होती हैं. विवाह, संपत्ति की खरीद इत्यादि सभी प्रकार के शुभ कार्यों को करने के लिए दिन अत्यधिक पवित्र है. शुभ मुहूर्त पर विचार करने या किसी विशेष शुभ मुहूर्त को जानने के लिए पंडित से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है. उत्तर भारत के राज्यों में ज्यादातर शादी समारोह फुलेरा दूज की पूर्व संध्या पर होते हैं. लोग आमतौर पर इस दिन को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे समृद्ध पाते हैं.
दांपत्य के लिए अतिशुभ घड़ी
जिस तिथि में कृष्ण और राधा ने फूलों की होली खेली वह फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी. इसीलिए इस तिथि को फुलेरा दूज कहा गया. कृष्ण और राधा के मिलन की तिथि को अति शुभ माना जाता है और इसीलिए इस तिथि को विवाह करने वाले युगलों के बीच अपार स्नेह और दांपत्य का मजबूत रिश्ता बनता है.